आरिफ आलम, अहमदाबाद: एक मशहूर कहावत है आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है. देश में इन दिनों देश के ज्यादातर राज्यों में पेट्रोल की कीमत 100 रुपए को पार कर गई है. वहीं दूसरी तरफ अब लोग पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों की वजह से विकल्प की तलाश कर रहे हैं. पहले लोग सीएनजी की ओर बढ़े उसके बाद लोग इलेक्ट्रिक गाड़ियों की ओर खींचे लेकिन अब हाइड्रोजन से चलने वाली कार की ओर लोगों का झुकाव बढ़ने लगा है.
बीते दिनों संसद के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिनों में केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी हाइड्रोजन से चलने वाली कार को लेकर जब संसद भवन पहुंचे तो सभी की नजर उनकी कार पर ही टिकी रह गई थी. जब से वह इस कार से सफर कर चुके हैं तभी से इस कार को लेकर चर्चा तेज हो गई है.
जापान की कार कंपनी टोयोटा मोटर अपने इंडियन पार्टनर के साथ मिलकर हाइड्रोजन से चलने वाली कार टोयोटा मारिया को पायलट प्रोजेक्ट के तहत लॉन्च किया है. इस कार को भविष्य का कार भी कहा जा रहा है. भविष्य के इस कार को खरीदने के लिए फिलहाल अन्य कार्य के मुकाबले कहीं अधिक भुगतान करना पड़ेगा. लेकिन इससे पर्यावरण सुरक्षित रहता है.
हाइड्रोजन से चलने वाली इस कार की खासियत क्या है चलिए जानते हैं
इस कार से सफर करने पर सिर्फ एक से दो रुपए प्रति किलोमीटर का खर्च आता है. कंपनी दावा कर रही है कि एक बार फ्यूल टैंक फुल करने के बाद गाड़ी 600 किलोमीटर तक चलेगी. हालांकि इलेक्ट्रिक कारों की तुलना में हाइड्रोजन कार अभी थोड़ी अधिक महंगी हैं, लेकिन केंद्र सरकार की हरित हाइड्रोजन नीति के तहत 2030 तक देश की सड़कों पर 50 लाख हाइड्रोजन कारें चलाने की उम्मीद जताई जा रही है.
हाइड्रोजन कार में हाइड्रोजन फ्यूल का इस्तेमाल होता है ऐसा माना जाता है कि अगर यह कार सक्सेज हो गई तो ऑटोमोबाइल के क्षेत्र में बड़ा क्रांति ला सकती है. इस कार को चलाने के लिए हाइड्रोजन की केमिकल एनर्जी को आर डी ओ एक्स रिएक्शन के जरिए केनिकल एनर्जी में बदला जाता है. ऐसा इसलिए संभव हो पाता है क्योंकि इसके फ्यूल सेल में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के बीच रिएक्शन करवाया जाता है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कार ऑक्सीजन और हाइड्रोजन के मिश्रण से तैयार होने वाली ईंधन से चलती है. लेकिन हाइड्रोजन की मात्रा ऑक्सीजन से कहीं ज्यादा होने की वजह से इसे हाइड्रोजन कार के रूप में पहचान मिल गई है. पर्यावरण के लिहाज से भी यह कार काफी अहम है. इससे वायु प्रदूषण कम होगा. चूंकि कार्बन उत्सर्जित नहीं होता है, इसलिए यह पर्यावरण के लिए खतरनाक नहीं है.
मौजूदा वक्त में जितनी भी बैटरी ऑपरेटेड इलेक्ट्रिक गाड़िया है उनको चार्ज करने के लिए आधे घंटे से ज्यादा का वक्त लग जाता है लेकिन इसे रीफ्यूल करवाने में सिर्फ 5 मिनट का वक्त लगता है. जिस तरीके से लोग पेट्रोल-डीजल भरवाते हैं उसी तरीके से इसमें हाइड्रोजन को भरवाया जा सकता है. हाइड्रोजन वाहनों के लिए अभी फिलिंग स्टेशन की कमी है.
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