दिल्ली: भारत पहली बार आसियान देशों के विदेश मंत्रियों के विशेष बैठक की मेजबानी कर रहा है. गुरुवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर सहित आसियान देशों के विदेश मंत्रियों ने दिल्ली डायलॉग के 12वें संस्करण में हिस्सा लिया. इस मौके पर भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि हम सिर्फ अपने हित के लिए ब्रिज की बात नहीं कर रहे. हम ब्रिज की बात कर रहे हैं जो भारत और आसियान के बीच वास्तव में व्यापक रणनीतिक साझेदारी का मार्ग बन सके.
दिल्ली डायलॉग के 12वें संस्करण की थीम ‘बिल्डिंग ब्रिज इन इंडो पेसिफिक’ पर बोलते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि कोविड महामारी ने वैश्विक दृष्टिकोण को और अधिक अनिश्चित और जटिल बना दिया है. हमारे क्षेत्र में भी जो स्थिति उभरी है वो चिंताजनक है, चाहे अफ़गानिस्तान हो या म्यांमार. यूक्रेन में संघर्ष के चलते भी खाना, ईंधन और उर्वरक को लेकर चिंता की स्थिति बन गई है.
भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने समारोह को संबोधित करते हुए आगे कहा कि भारत की एक्ट ईस्ट नीति निश्चित तौर पर आसियान भारत साझेदारी का आधार रही है. भारत के अनुसार आसियान हिन्द प्रशांत के केंद्र में स्थित है. इसी कारण PM मोदी ने इंडो पैसिफिक ओशन इनिशिएटिव की घोषणा 2019 ईस्ट एशिया समिट में की. हम अपनी ऊर्जा और बिजली कनेक्टिविटी को आगे बढ़ाने और कम कार्बन वाली क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था के लिए सहयोग के लिए तत्पर हैं. इस संबंध में ‘अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन’ विशेष रूप से उपयोगी मंच है.
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने आगे कहा कि भारत और आसियान वैश्विक व्यवस्था के चल रहे पुनर्संतुलन में योगदान कर रहे हैं. भारत और आसियान मज़बूत स्टार्टअप इकोसिस्टम और इंटरनेट को बढ़ावा देने वाली अर्थव्यवस्था हैं. भारत और आसियान नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में पहले से ही साथ में काम कर रहे हैं.
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