बीते दिनों उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि कहीं ऐसा ना हो कि किसी एक वर्ग की आबादी बढ़ने का प्रतिशत ज्यादा हो रहा हो. हमें ध्यान में रखना होगा कि जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम सफलतापूर्वक आगे बढ़े, लेकिन जनसांख्यिकी असंतुलन की स्थिति भी न पैदा होने पाए. उनके इस बयान के बाद से राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गई है.
इस बीच भारत में जनसंख्या वृद्धि को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत का भी बयान सामने आया है. कर्नाटक में एक समारोह को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि जीवित रहना जीवन का लक्ष्य नहीं होना चाहिए, सिर्फ खाना और आबादी बढ़ाना तो जानवर भी करते हैं. मनुष्य के कई कर्तव्य होते हैं, जिनका निर्वाहन उन्हें समय-समय पर करते रहना चाहिए.
श्री सत्य साईं यूनिवर्सिटी फॉर ह्यूमन एक्सीलेंस के पहले दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि मनुष्य के पास अगर बुद्धि नहीं होती तो वो पृथ्वी पर सबसे कमजोर प्राणी होता. लेकिन कभी संज्ञानात्मक आवेग मनुष्य के जीवन में आया जिसने उसे सर्वश्रेष्ट बनाया मगर केवल खाना-पीना और प्रजा बढ़ाना, ये काम तो पशु भी करते हैं.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने समारोह को संबोधित करते हुए आगे कहा कि जो ताकतवर है वो जीवन जी लेगा, यह जंगल का कानून है लेकिन मनुष्यों की व्याख्या है कि सबसे योग्य व्यक्ति दूसरों को जीने में मदद करेगा. भागवत ने कहा कि अध्यात्म के जरिए ही श्रेष्ठता हासिल की जा सकती है क्योंकि विज्ञान अभी तक सृष्टि के स्रोत को नहीं समझ पाया है.
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