नई दिल्ली: लोकसभा और राज्यसभा में नए नियम के मुताबिक गद्दार, घड़ियाली आंसू, जयचंद, शकुनी, भ्रष्ट, जुमलाजीवी जैसे कई शब्दों और मुहावरों पर बैन लगा दी गई है. यानी सदन की कार्यवाही के दौरान अब इस तरीके के शब्दों का इस्तेमाल करना असंसदीय माना जाएगा. विपक्षी सासंद केंद्र के इस फैसले का आलोचना कर रहे हैं.
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस फैसले को लेकर कहा कि संसद में एक किताब बनती है जिसमें लिखा होता है कि कौन से शब्द असंसदीय हैं और कौन से संसदीय होते हैं. उन्होंने (प्रधानमंत्री मोदी ने) जो शब्द अपने संसदीय जीवन में कहे और बोले हैं वही शब्द हम बोलेंगे और उनको बताएंगे कि उनकी बहस में उन्होंने क्या कहा. वे जब खुद कहते हुए आए हैं आज उनको क्यों लग रहा है कि यह शब्द ठीक नहीं है.
संसद में कुछ शब्दों के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाए जाने के मामले पर लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि आज कहते हैं कि यह शब्द इस्तेमाल नहीं हो सकते, कल कहेंगे कि संसद में आना है तो भगवा कपड़े पहनकर आओ, इन चीज़ों को देखने के लिए संसद में नियम और नैतिक समितियां हैं. यह दूसरा संसद बनाकर दूसरा गणतंत्र बनाते जा रहे हैं. इस दूसरे गणतंत्र में नए संविधान को बनाने की कोशिश होगी. क्या यह नए व्याकरण की रचना कर रहे हैं? हम इन शब्दों में इस्तेमाल करते रहेंगे. मोदी जी और अमीत शाह जी ‘जुमले’ का मतलब जाकर पढ़ लें.
वहीं इस मामले को लेकर आप सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि सरकार ने आदेश निकाला है कि संसद में सांसद कुछ शब्दों का प्रयोग नहीं कर सकते. उन शब्दों की सूची पढ़कर लगता है कि सरकार बखूबी जानती है कि उनके काम को कौन से शब्द परिभाषित करते हैं. जुमलाजीवी कहना असंसदीय हो गया है लेकिन आंदोलनजीवी कहना असंसदीय नहीं हुआ.
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