एक ऐसा वायरस जिसकी वजह से हजारों गाय की मौत हो चुकी है. जिस वायरस से 16 राज्यों की सरकारों और अधिकारियों में हड़कंप मचा दिया है. उस संक्रमण का समाधान क्या है? और इससे भी बड़ा सवाल यह है कि क्या लम्पी वायरस का संक्रमण लोगों तक पहुंच सकता है. क्या जानवरों में संक्रमण आम जनता में फैल सकता है? संक्रमित गाय का दूध पीने से इंसानों में बीमारी फैलती है या नहीं? क्या लम्पी वायरस वाले क्षेत्रों में पाया जाने वाला दूध खतरनाक हो सकता है? आम लोगों को दूध पीना चाहिए या नहीं?
इस रोग की तीन प्रजातियां
दरअसल, दुधारू पशुओं में फैली इस बीमारी को ‘ढेलेदार त्वचा रोग वायरस’ या एलएसडीवी कहा जाता है. यह रोग तीन प्रकार का होता है. पहला ‘कैप्रीपॉक्स वायरस’, दूसरा ‘गॉटपॉक्स वायरस’ और तीसरा ‘शीपपॉक्स’ वायरस.
जानवरों में देखने को मिलती है ये विशेषता
इस बीमारी के कई लक्षण होते हैं. लगातार बुखार, वजन घटना, लार आना, आंखों और नाक का बहना, दूध की कमी, शरीर पर विभिन्न प्रकार की गांठें बनना. ये सभी गांठें शरीर पर रैशेज जैसी हो जाती हैं. इनमें से कई लक्षण जानवरों में पाए जाते हैं.
लम्पी स्किन डिसीज एक ऐसी बीमारी है जो मच्छरों, मक्खियों, जूँ द्वारा फैल सकती है. यह मवेशियों के बीच संपर्क और दूषित भोजन और पानी के माध्यम से अन्य जानवरों में भी फैल सकता है. यह वायरस बहुत तेजी से फैलता है. हालांकि यह रोग दुधारू पशुओं में पाया जाता है. लोगों को डर है कि इसका असर उन पर भी हो सकता है, हालांकि एम्स के मेडिसिन विभाग के डॉ. पीयूष रंजन के मुताबिक इंसानों पर इसका कोई असर नहीं होता है.
इंसान को डरने की जरूरत नहीं
मनुष्य में इस रोग के प्रति जन्मजात रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है. यानी यह एक ऐसी बीमारी है जो इंसानों को नहीं हो सकती. हालांकि परेशान करने वाली बात यह है कि भारत को दूध की कमी का सामना करना पड़ सकता है. क्योंकि गुजरात में मवेशियों की मौत से अमूल प्लांट में दूध की किल्लत हो गई है. गुजरात में हर दिन हजारों की संख्या में दूध देने वाले मवेशियों की मौत हो रही है.
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