नई दिल्ली: बिहार में सियासी घमासान के बाद विपक्ष का जोश आसमान पर है. इस बीच तेजस्वी यादव कह रहे हैं कि अन्य पार्टियों को भी बिहार से सीख लेनी चाहिए. नीतीश कुमार ने अपने बयान से संकेत भी दिया है कि वह 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ सक्रिय भूमिका निभाएंगे. उन्होंने कहा कि जो 2014 में आए वे 2024 में रह पाएंगे या नहीं, इन्हीं घटनाक्रमों के बीच बीजेपी लोकसभा चुनाव की तैयारी कर रही है. 2019 में पश्चिम बंगाल में बीजेपी को अच्छी सफलता मिली थी. इसलिए अब पार्टी ममता का गढ़ नहीं छोड़ना चाहती.
पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने पश्चिम बंगाल की कुल 42 सीटों में से 18 सीटों पर जीत हासिल की थी. अब पार्टी ने पश्चिम बंगाल की जिम्मेदारी तीन केंद्रीय मंत्रियों को दी है. इसमें धर्मेंद्र प्रधान, स्मृति ईरानी और ज्योतिरादित्य शामिल हैं. इन नेताओं ने 2021 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार के कारणों पर काम करना शुरू कर दिया है. बताया जा रहा है कि अब राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा को भी यह जिम्मेदारी दी जा सकती है.
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे जगदीप धनखड़ के राजभवन से चले जाने के बाद अब केंद्र सरकार कई तरह से पश्चिम बंगाल सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश करेगी. गौरतलब है कि जगदीप धनखड़ उपराष्ट्रपति बन गए हैं. बीजेपी आलाकमान ने प्रदेश संगठन को बीजेपी और टीएमसी के बीच डील की अफवाहों पर विराम लगाने का निर्देश दिया है. गौरतलब है कि ममता बनर्जी ने हाल ही में पीएम मोदी से मुलाकात की थी.
धर्मेंद्र प्रधान पर क्यों जताया भरोसा
राज्य में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के साथ उनके अच्छे संबंधों के कारण भाजपा नेतृत्व ने धर्मेंद्र प्रधान को पश्चिम बंगाल की जिम्मेदारी दी. उन्हें राज्य की 42 लोकसभा सीटों की देखभाल का जिम्मा सौंपा गया है. प्रधान पहले भी अधिकारियों के साथ जुड़े रहे हैं. उसके बाद उन्होंने टीएमसी को अलविदा कह दिया और बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और नंदीग्राम से जीत हासिल की.
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