बिलकिस बानो मामले में दोषियों की रिहाई के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया है. दो हफ्ते बाद मामले की सुनवाई होगी. गुजरात सरकार ने बिलकिस बानो मामले के सभी 11 दोषियों को संवैधानिक अधिकारों के तहत बरी कर दिया था. गुजरात सरकार के इस फैसले की पूरे देश में आलोचना हो रही है. इतना ही नहीं भाजपा के नेता भी इस फैसले को लेकर राज्य सरकार पर सवाल खड़ा कर रहे हैं.
गुजरात सरकार के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. सामाजिक कार्यकर्ता सुभाषिनी अली समेत चार लोगों ने गुजरात सरकार के फैसले को रद्द करने की मांग की है. इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सवाल यह है कि क्या दोषी गुजरात नियमों के तहत रिहा होने के लायक हैं या नहीं? हमें देखना होगा कि रियायतें देते समय क्या इस पर ध्यान दिया गया. सुनवाई के दौरान जस्टिस अजय रस्तोगी ने कहा कि सवाल यह है कि गुजरात के नियमों के तहत दोषी छूट के हकदार हैं या नहीं? मैंने कहीं पढ़ा है कि लिखा था कि सुप्रीम कोर्ट ने रिहा करने का आदेश दिया था. लेकिन नहीं, हमने केवल गुजरात को कानून के अनुसार आगे बढ़ने के लिए कहा था.
गुजरात के गोधरा में 2002 के दंगों के बाद बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था. उनके परिवार के 7 सदस्यों को मौत के घाट उतार दिया गया था. इस मामले में 2008 में 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. इन दोषियों में से एक ने रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. जिसके बाद कोर्ट ने छूट का फैसला गुजरात सरकार पर छोड़ दिया था. उसके बाद गुजरात सरकार ने आरोपियों की रिहाई के लिए एक समिति का गठन किया था. इस कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर सभी अपराधियों को रिहा कर दिया गया था.
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