अहमदाबाद: आवारा पशुओं का अड्डा बनते जा रहा स्मार्ट सिटी अहमदाबाद को लेकर हाईकोर्ट ने सख्त रवैया अपनाया है. हाईकोर्ट ने अहमदाबाद नगर निगम को 72 घंटे के भीतर अहमदाबाद शहर से आवारा मवेशियों की समस्या को दूर करने का आदेश दिया है. हाईकोर्ट ने एएमसी से पूछा कि क्या अब सड़क पर एक भी आवारा मवेशी नहीं है? नगर निगम प्रशासन मवेशियों को क्यों नहीं पकड़ती? कोर्ट ने मवेशियों के आतंक को दूर करने के लिए आज से लगातार 3 दिन गश्त करने का आदेश दिया है. साथ ही आवारा पशुओं को लेकर हाईकोर्ट ने 2 अधिकारियों की नियुक्ति के आदेश दिए हैं. हाईकोर्ट ने कहा कि सड़क पर आवारा पशुओं पर विशेष ध्यान दिया जाए. गश्ती शिफ्ट बढ़ाएँ और आवश्यक कार्रवाई करें. इतना ही नहीं इस मामले को लेकर आवारा पशुओं पर रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया है.
गुजरात हाईकोर्ट ने अहमदाबाद के लोगों को 72 घंटे के भीतर आवारा पशुओं से मुक्ति दिलाने आदेश दिया है. आवारा पशुओं के कारण हादसों में इजाफा हो रहा है. इस मुद्दे पर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार और अहमदाबाद नगर पालिका को जमकर फटकार भी लगाई, हाईकोर्ट ने एएमसी से कहा कि कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया गया तो कार्रवाई के लिए तैयार रहें. कोर्ट ने नगर निगम से कहा कि अगर सोमवार तक इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए प्रस्ताव नहीं लाया गया तो हम कड़े आदेश जारी करेंगे. यह स्थिति चिंताजनक है. पीठ ने यह भी कहा कि कल से सड़क पर मवेशियों की चपेट में आने से किसी की मौत या दुर्घटना नहीं होनी चाहिए.
गुजरात सरकार ने घोषणा की कि राज्य सरकार ने राज्य के नागरिकों को आवारा पशुओं की यातना से मुक्त करने का दृढ़ संकल्प लिया है. मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के निर्देशन में ऐसी व्यवस्था बनाई जाएगी कि किसी को आवारा पशु से परेशानी न हो. यदि चरवाहों के पास व्यवस्था नहीं है, तो वे अपने पशुओं को पशुशाला में डाल सकते हैं, जिसका राज्य सरकार द्वारा पूरा ध्यान रखा जाएगा. इतना ही नहीं, राज्य सरकार आवारा पशुओं को गौशाला तक पहुंचाने का खर्च भी वहन करेगी.
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