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हिजाब मुस्लिम महिलाए अपने सर पर पहनती हैं दिमाग पर नहीं: ओवैसी

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बीते दिनों ज्ञानवापी परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी की नियमित दर्शन-पूजा की मांग को लेकर वाराणसी की अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया था. ज्ञानवापी श्रंगार गौरी विवाद मामले में फैसला सुनाते हुए जिला जज ए.के. विश्वेश की एकल पीठ ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की याचिका को खारिज कर दिया था. कोर्ट के इस फैसले पर महबूबा मुफ्ती के बाद एआईएमआईएम के अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी निराशा जताई है.

राजस्थान के जयपुर पहुंचे ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि मेरा मानना है कि वो फैसला (ज्ञानवापी फैसला) गलत है. ये फैसला पूजा स्थल अधिनियम 1991 के खिलाफ है. ये भविष्य में ऐसे बहुत से मसलों को खोल देगा. ये फैसला देश में अस्थिर प्रभाव पैदा कर सकता है.

इसके अलावा ओवैसी ने कहा कि हिजाब मुसलमानों के लिए जरूरी धार्मिक प्रथा है. अगर सरकारी स्कूल अन्य धार्मिक प्रतीकों की अनुमति दे रहे हैं, तो इसको क्यों नही दिया जा रहा है. महिला अपने सर पर पहन रही है अपने दिमाग पर नहीं. अगर कोई लड़की हिजाब पहनना चाहती है तो आप उसे क्यों रोकना चाहते हैं?

महबूबा भी फैसले पर जता चुकी हैं हैरानी

जम्मू- कश्मीर की पूर्व मुख्मयंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कल श्रीनगर में मीडिया से बात करते हुए कहा था कि, मेरी राय में कोर्ट खुद अपने आदेश की अवहेलना कर रही है. चाहे वह मंदिर हो, मस्जिद हो या किसी अन्य धर्म का पूजा स्थल. संसद ने इसे लेकर कानून बनाया है लेकिन अब कोर्ट उसका पालन नहीं कर रही है. ज्ञानवापी के निर्णय पर मुझे अफसोस है क्योंकि कोर्ट अपने फैसलों को नहीं मान रही जिसमें उन्होंने 1947 के बाद सारे धार्मिक जगहों की यथास्थिति को बनाए रखने के लिए कहा था. कोर्ट भाजपा के नरेटिव को आगे बढ़ा रही है.

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