गांधीनगर: गुजरात दंगा पीड़ित बिलकिस बानों के परिवार के सात सदस्यों की हत्या और बिलकिस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म के मामले में जेल की सजा काट रहे 11 आरोपियों को गुजरात सरकार ने रिहा कर दिया था. लेकिन जेल से रिहा होने के बाद आरोपियों ने मामले के गवाह को धमकाना शुरू कर दिया है. CJI यूयू ललित को लिखे पत्र में बिलकिस बानो मामले के गवाह ने अपनी जान को खतरा बताया है. गवाह ने बताया कि उसे जान से मारने की धमकी दी जा रही है.
गुजरात सरकार ने 15 अगस्त 2002 के दंगों के दौरान बिलकिस बानो के सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या के दोषियों को रिहा कर दिया था. बिलकिस बानो मामले के गवाह इम्तियाज घांची गुजरात के सिंधवाड़ गांव के रहने वाले हैं और फिलहाल देवगढ़ बारिया में रहते हैं. 19 सितंबर को लिखे एक पत्र ने उन्हें बताया कि वह 15 अगस्त को सिंधवाड़ से देवगढ़ बारिया आ रहे थे, तब राधेश्याम शाह ने उसे पिपलोड रेलवे बैरिकेड पर देखा था.
इम्तियाज ने कहा कि राधेश्याम शाह ने उनकी ओर इशारा करते हुए कहा- मुझे आरोपी कहकर क्या मिला, मैं अब बाहर हूं, उसके बाद वह वहां से चला गया.
CJI को लिखे पत्र में इम्तियाज ने कहा है कि उनकी जान को खतरा है और दोषियों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जानी चाहिए. बिलकिस बानो मामले में मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत के समक्ष गवाह इम्तियाज ने गवाही देते हुए कहा था कि आरोपी नरेश को देखा, एक अन्य आरोपी प्रदीप मोढिया को भी देखा था, जो पथराव कर रहे थे.
15 अगस्त को बिलकिस बानो मामले के सभी 11 दोषियों को सजा माफ कर रिहा कर दिया गया था, जिसके बाद गुजरात सरकार और केंद्र सरकार की आलोचना की गई थी. विपक्षी दलों सहित मानवाधिकारों के लिए काम करने वाले संगठनों ने भी इस फैसले की आलोचना की थी. खुद बीजेपी नेताओं ने भी बिलकिस के दोषियों को रिहा करने के फैसले को गलत बताया था.
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