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गुजरात चुनाव से पहले सरकार विरोधी आंदोलन को रोकने में विफल रहा मंत्रियों का पैनल, 17 मुद्दों पर चल रहा प्रदर्शन

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गांधीनगर: गुजरात चुनाव को ध्यान में रखते हुए भाजपा के पांच मंत्रियों की टीम बनाई गई थी. इस टीम का काम राज्य में विरोध और आंदोलन को रोकने के लिए लोगों की समस्याओं का संज्ञान लेना था. हालांकि, विरोध को बढ़ावा देने वाले मुद्दों को जल्दी से हल करने के लिए बनाई गई पांच मंत्रियों की यह समिति राज्य में विरोध प्रदर्शनों को रोकने में विफल रही है.

गुजरात में कम से कम 17 विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, जिससे दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार पर दबाव बढ़ रहा है. सूत्रों का कहना है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने गांधीनगर में बीजेपी कार्यालय में हुई बैठक में सभी आंदोलन खत्म करने के लिए सितंबर की समयसीमा दी थी.

27 सितंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल

वर्तमान में विभिन्न मुद्दों का विरोध करने वाले शिक्षक, चतुर्थ श्रेणी के सरकारी कर्मचारी, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, किसान, लोक रक्षक दल भर्ती उम्मीदवार, ड्यूटी पर मारे गए सरकारी कर्मचारियों के परिवार, वन रक्षक, मध्याह्न भोजन कार्यकर्ता, सचिवालय क्लर्क और ग्रामीण कंप्यूटर सहायक, इसके अलावा राज्य सरकार के हजारों पूर्व और वर्तमान कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को लागू करने की मांग को लेकर राज्य में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. इन तमाम संगठन से जुड़े लोगों ने 27 सितंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की है.

गुजरात सरकार ने 2005 से पहले सेवा में शामिल होने वाले कर्मचारियों के लिए ओपीएस पर सहमति व्यक्त की थी लेकिन इस प्रस्ताव को नेशनल ओल्ड पेंशन रेस्टोरेशन यूनाइटेड फ्रंट ने खारिज कर दिया था. चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के पास ओपीएस, संविदा भर्ती, पे-ग्रेड समानता, स्वास्थ्य बीमा, भविष्य निधि सहित मांगों का 14 सूत्री चार्टर है.

हाल ही में चौधरी समाज ने मेहसाणा दूध सागर डेयरी के अध्यक्ष के रूप में कार्यकाल के दौरान 750 करोड़ रुपये के गबन के आरोप में पकड़े गए विपुल चौधरी की गिरफ्तारी के खिलाफ विरोध शुरू किया था. उत्तर गुजरात के किसान भी केंद्र सरकार की भारत माला परियोजना का विरोध कर रहे हैं. इस बीच, भारतीय किसान संघ चाहता है कि राज्य सरकार किसानों के लिए एक समान बिजली दरों की घोषणा करें. हालांकि कुछ किसानों ने अपना विरोध वापस ले लिया है.

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