अहमदाबाद की विशेष अदालत ने दो आरोपियों को अहमदाबाद के पूर्वी हिस्से में जातिवाचक शब्द उच्चारण के मामले में दायर शिकायत में आरोपियों को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया है.
इसी साल 3 जनवरी के दिन आरोपियों ने शिकायतकर्ता के साथ विवाद होने के बाद उसके खिलाफ जातिवाचक शब्दों का इस्तेमाल किया था. Accused bail court dismissed
इस मामले को लेकर शिकायकतकर्ता ने मामला दर्ज कराई गई थी.
कोर्ट ने आरोपियों को जमानत देने से किया इनकार Accused bail court dismissed
अहमदाबाद स्पेशल कोर्ट ने दोनों आरोपियों की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा – आरोपी अनिल कुमार श्रीवास्तव और पूनम श्रीवास्तव और वादी दोनों पड़ोसी हैं.
पहली नज़र में ऐसा नहीं लगता कि आरोपी शिकायतकर्ता के जाति से अनजान थे. वादी ने आरोप लगाया कि दोनों आरोपियों ने उसके खिलाफ जातिवाचक शब्दों का इस्तेमाल किया था.
इसलिए आरोपियों को फिलहाल अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती. Accused bail court dismissed
वकील की दलील घर विवाद को दिया जा रहा है अलग रंग
याचिकाकर्ता – अभियुक्त के अधिवक्ता द्वारा यह प्रस्तुत किया गया कि वादी द्वारा एट्रोसिटी अधिनियम का उल्लंघन कर दोनों याचिकाकर्ताओं के खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज कराई गई है.
आवेदक द्वारा किसी भी प्रकार का जातिवाचक शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया है. Accused bail court dismissed
वादी और अभियुक्तों के बीच मूल विवाद उनके घर के बीच की दीवार की है. जिसे गलत तरीके से पेश किया जा रहा है.
अभियुक्त को अग्रिम जमानत दी जानी चाहिए क्योंकि इस मामले में कस्टोडियल जांच की कोई आवश्यकता नहीं है.
वादी द्वारा अदालत में एक लिखित प्रतिनिधित्व किया गया कि दोनों आरोपी उसे घर खाली करने की धमकी दे रहे थे. Accused bail court dismissed
आरोपियों ने उसके खिलाफ जातिवाचक शब्दों का इस्तेमाल किया था. इसलिए अगर आरोपियों को अग्रिम जमानत दी जाती है तो भविष्य में उसे नुकसान भी पहुंचा सकते हैं.
सरकारी वकील की ओर से इस मामले को लेकर कोर्ट में दलील दी गई कि दोनों आरोपियों के खिलाफ एट्रोसिटी अधिनियम की धारा 3 (आर) (एस) के तहत शिकायत दर्ज की गई है.
इसलिए अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती.
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