करीब एक माह तक चले दिल्ली में चुनावी प्रचार के बाद मतदाता आज दिल्ली में सरकार चुनने के लिए मतदान कर रहे हैं. चुनाव प्रचार के दौरान कई मुद्दे उठे और इन्हें लेकर राजनीतिक दलों का रुख भी सामने आया. मुफ्त बिजली-पानी व महिला बस यात्र से लेकर स्वास्थ्य, शिक्षा अनधिकृत कॉलोनियों में घर का मालिकाना हक देने के मुद्दे से शुरू हुआ चुनावी प्रचार शाहीन बाग पर आकर खत्म हुआ. लेकिन अब मतदाताओं के हाथ में दिल्ली में सरकार चुनने की जिम्मेदारी आ गई है.
आम आदमी पार्टी सरकार ने मुफ्त बिजली-पानी, महिलाओं की मुफ्त बस यात्र योजना के साथ ही शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए गए काम को जोरदार ढंग से उठाया. पिछले काफी समय से इन विषयों को लेकर कार्यकर्ता जनता के बीच पहुंच रहे थे. इसकी काट में भाजपा अनधिकृत कॉलोनियों में मालिकाना हक देने के केंद्र सरकार के फैसले को अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश में लगी रही.
पिछले कई चुनाव की तरह इस बार भी बिजली व पानी मुद्दा है. केजरीवाल सरकार ने मुफ्त प्रति माह दो सौ यूनिट बिजली और 20 हजार लीटर पानी की सुविधा आगे भी जारी करने का वादा किया है. भाजपा भी इसे जारी रखने की बात कर रही है. कांग्रेस ने इससे एक कदम आगे बढ़कर प्रति माह छह सौ यूनिट बिजली मुफ्त देने और बीस हजार लीटर से कम पानी खर्च करने वालों को कैश बैक देने का वादा किया है. इसके साथ ही दूषित पेयजल आपूर्ति का मुद्दा भी चुनाव में खूब उछला. आप नेता मोहल्ला क्लीनिक और अस्पतालों में बेहतर सेवाएं उपलब्ध कराने का दावा करते रहे. दूसरी ओर भाजपा ने दिल्ली में आयुष्मान भारत योजना को लागू नहीं करने को मुद्दा बनाया.
आम आदमी से जुड़ा चुनावी प्रचार को धीरे-धीरे बीजेपी ने राष्ट्रवाद की तरफ मोड़ दिया और फिर शुरु हुआ दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन करने वालों पर चुनावी प्रचार. इस बार दिल्ली में होने वाला चुनावी प्रचार सबसे जहरीले प्रचार के तौर पर याद किया जाएगा. लेकिन अब दिल्ली की जनता के कंधे पर जिम्मेदारी आ गई है कि वह कैसी सरकार चाहते हैं.