भारतीय रिजर्व बैंक या आरबीआई ने लेन-देन में कथित अनियमितताओं के लिए बेंगलुरु स्थित एक प्राइवेट बैंक के तत्काल प्रभाव से व्यापार करने पर रोक दी है. ये पाबंदी बेंगलुरु में मौजूद श्री गुरु राघवेंद्र सहकार बैंक या एसजीआरएसबी पर लगायी गयी हैं. शनिवार को एक अधिकारी ने कहा कि बिना आरबीआई की लिखित इजाजत एसजीआरएसबी नया लोन नहीं दे सकेगा औ न ही लोन रिन्यू कर सकेगा. 10 जनवरी से लागू हुई पाबंदियों के तहत एसजीआरएसबी बिना आरबीआई की अनुमति लिये निवेश, उधार और नये डिपॉजिट तक नहीं सकेगा. आरबीआई के मुख्य महाप्रबंधक योगेश दयाल ने मुंबई से बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35ए और 56 के तहत मामले में निर्देश जारी किया.
आरबीआई के मुताबिक बैंक के बचत और चालू खाता ग्राहकों और जमाकर्ताओं को अगले निर्देश तक केवल 35,000 रुपये तक का कैश निकालने की इजाजत होगी. बैंक पर किसी भी तरह के कैश लेन-देन की पाबंदी रहेंगी, जिनमें देनदारियों का चुकाना और संपत्ति तक बेचना शामिल है. अधिकारी के मुताबिक बैंक अपनी वित्तीय स्थिति में सुधार होने तक प्रतिबंधों के साथ कारोबार करना जारी रखेगा. आरबीआई ने साफ किया है कि इस कार्रवाई को बैंक का लाइसेंस रद्द करने के रूप में न लिया जाये. बैंक पर लगी ये पाबंदियां 6 महीनों तक जारी रहेंगी. मगर इन पाबंदियों की समीक्षा भी की जायेगी.
पिछसे साल ऐसी ही पाबंदियां महाराष्ट्र के पंजाब और महाराष्ट्र सहकारी बैंक या पीएमसी पर भी लगी थीं। 24 सितंबर को आरबीआई ने बैंक पर पाबंदियां लगाईं थीं और 6 महीनों की अवधि के दौरान सिर्फ 1000 रुपये निकाले जाने का निर्देश जारी किया था, जिसे बाद में बढ़ाया गया। उस दौरान बैंक के ग्राहकों को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा था। बाद में पुलिस ने अपनी जांच में पाया था कि पीएमसी में 21,049 फर्जी खाते खोले गए। हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर को भारी लोन दिया गया और इसे छिपाने के लिए 44 लोन खाते खोले गये थे