प्रवासी भारतीयों को उनके घर पहुंचाए जाने का मुद्दा का अब राजनीतिक रंग लेना शुरू कर दिया है. दरअसल इसकी शुरुआत प्रवासियों से किराए लिए जाने के मामले में हुई और विपक्ष के नेताओं ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया. उनका कहना था कि संकट कि इस घड़ी में जो प्रवासी मजदूर हैं खुद ही आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं ऐसे में उनसे किराया लेना ठीक नहीं है. इसी बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने ऐलान कर दिया है कि पार्टी प्रवासियों का किराया खुद ही वहन करेगी. लेकिन अब इस मामले में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव भी पीछे नहीं रहना चाहते हैं. उन्होंने ऐलान किया है कि राष्ट्रीय जनता दल बिहार सरकार को अपनी तरफ़ से 50 ट्रेनों का किराया देने को तैयार है. तेजस्वी ने कहा, ‘हम ग़रीब बिहारी मज़दूर भाइयों की तरफ़ से इन 50 रेलगाड़ियों का किराया असमर्थ बिहार सरकार को देंगे. सरकार आगामी 5 दिनों में ट्रेनों का बंदोबस्त करें, पार्टी इसका किराया तुरंत सरकार के खाते में ट्रांसफ़र करेगी’.
गौरतलब है कि गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देश अनुसार राज्य सरकार को ही ट्रेनों का प्रबंध करना है इसलिए हम राज्य सरकार से आग्रह करते है कि वह मज़दूर भाइयों से किराया नहीं ले क्योंकि मुख्य विपक्षी पार्टी आरजेडी शुरुआती 50 ट्रेनों का किराया वहन करने के लिए एकदम तैयार है. आरजेडी उनके किराए की राशि राज्य सरकार को चेक के माध्यम से जब सरकार कहें, सौंप देगी.
राष्ट्रीय जनता दल शुरुआती तौर पर बिहार सरकार को अपनी तरफ़ से 50 ट्रेन देने को तैयार है।
हम मज़दूरों की तरफ़ से इन 50 रेलगाड़ियों का किराया असमर्थ बिहार सरकार को देंगे। सरकार आगामी 5 दिनों में ट्रेनों का बंदोबस्त करें, पार्टी इसका किराया तुरंत सरकार के खाते में ट्रांसफ़र करेगी।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) May 4, 2020
वहीं सरकारी सूत्रों कहना है कि केंद्र पहले से ही सब्सिडी दे रही है. मज़दूरों के लिए ट्रेन सोशल डिस्टेंसिग का ध्यान रखते हुए चलाई जा रही है इसलिए आधी भर कर ही चल रही हैं. इसका भार भी केंद्र पर ही है. इसके साथ ही मज़दूरों की स्क्रीनिंग के लिए डॉक्टर, सुरक्षा, रेलवे स्टाफ आदि का भी इंतज़ाम किया गया है. कुछ राज्य जहां से ट्रेन चलना शुरू करेंगी वे यात्री किराया दे रही हैं जो कुल ख़र्च का 15% है. मध्य प्रदेश ने ऐसा किया है. शिवराज सिंह चौहान ने इसका ऐलान भी किया है. महाराष्ट्र ने अभी तक ऐसा कोई ऐलान नहीं किया है. अधिकांश राज्य पिछले चालीस दिनों से मज़दूरों के खाने-पीने और रहने का इंतज़ाम कर रहे हैं. ऐसे में उनके लिए ज्यादा ठीक यही है कि वे मज़दूरों को किराया देकर भेज दें. लेकिन कुछ राज्य इसमें आगे नहीं आ रहे हैं. कांग्रेस का ऐलान सिर्फ दिखावा है. उनके शासन वाले राज्यों को आगे आना चाहिए.
https://archivehindi.gujaratexclsive.in/railway-clarifies-in-the-midst-of-the-ongoing-politics-on-the-collection-of-rent-from-migrant-laborers/