हितेश चावड़ा, गांधीनगर: गुजरात विधानसभा में बजट प्रश्नोत्तरी का दौर चल रहा है. पिछले काफी वक्त से विपक्ष की भूमिका भूल चुकी कांग्रेस गुजरात के महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर सरकार से सवाल पूछना शुरू कर दिया है. कांग्रेस के सावल के बाद विधानसभा में गुजरात की बीजेपी सरकार की ओर से जो जवाब पेश किया जा रहा है वह चुनावी सभा और भाषणों की हकीकत से बिल्कुल अलग है. जैसे-जैसे विधानसभा में बजट सत्र पर चर्चा बढ़ रही है हर दिन कोई ना कोई चौकाने वाली जानकारी सामने आ रही है.
गुजरात विधानसभा में कांग्रेस ने राज्य के अस्पतालों में बच्चों के मौत पर सवाल पूछा था, जिसका जवाब उप मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री नितिन पटेल ने दिया उन्होंने बताया कि ” 2 साल में राज्य में 15,013 बच्चे की मौत हुई है. सबसे ज्यादा मौत का मामला अहमदाबाद में शहर में सामने आया है. सरकार की ओर से विधानसभा में पेश आकड़ा के हिसाब से देखा जाए तो हर दिन 20 बच्चे अपनी जान गंवा रहे हैं. यह चौंकाने वाला आंकड़ा आपको विचलित कर सकता है. गुजरात में ही नहीं बल्कि पूरे देश के बच्चों का भविष्य युद्धग्रस्त ईरान के बच्चों के भविष्य से भी बदतर है.
सत्ता में बैठे लोग महत्वपूर्ण मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए कई कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे हैं. अगर गुजरात के भविष्य यानी बच्चों के जीवन को लेकर कोई ठोस नीती बनाई गई होती तो क्या हर दिन 20 बच्चों की मौत को रोका नहीं जा सकता था? जब राजस्थान के कोटा में बच्चों के मौत का मामला सामने आया था उस दौरान भाजपा ने कई तरीके का आरोप लगाकर राजनीति करना शुरू किया था.
गुजरात मॉडल में बच्चों की मौत का खुलासा होने पर रुपाणी सरकार ने चुप्पी साध ली. ऐसे में सवाल ये उठता है कि एशिया की सबसे बड़ी अस्पताल अहमदाबाद में मौजूद होने के बाद नवजात शिशुओं की मौत की संख्या सबसे ज्यादा यहां पर ही क्यों?, नवजात शिशुओं की मौत का भयंकर आकड़ा सरकार के पास मौजूद होने के बाद भी कोई पहल, कोई योजना, कोई नीति नहीं बनाई जा रही. बल्कि इससे बिल्कुल हटकर ‘नमस्ते ट्रम्प’ जैसे कार्यक्रम में करोड़ों रुपये खर्च किया जा रहा है ताकि गुजरात के लोगों का ध्यान असल मुद्दों से भटकाया जा सके.
बेरोजगारी, महंगाई, गिरती अर्थव्यवस्था, जातिवाद, साम्यवाद आदि जैसे तमाम मुद्दों के बीच गुजरात का भविष्य अस्पतालों के बेड पर दम तोड़ रहा है. बावजूद इसके गुजरात सरकार स्वास्थ्य संबंधी योजनाओं को लेकर बड़े-बड़े ऐलान कर रही है. लेकिन हकीकत सामने आने के बाद कई सवाल खड़े हो रहे है कि क्या वाकई गुजरात पूरे देश को विकास का मॉडल दिखाने लायक है या नहीं?
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