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कृषि कानून का विरोध: केंद्रीय मंत्रियों की दी गई किसानों को समझाने की जिम्मेदारी

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केंद्र की मोदी सरकार द्वारा बनाए गए कृषि कानून के विरोध में पंजाब व हरियाणा के हजारों किसान आंदोलनरत हैं. दिल्ली कूच पर अड़े किसान राजधानी दिल्ली के बॉर्डरों पर डेरा जमाए बैठे हुए हैं.

कृषि कानून का विरोध कर रहे किसानों ने केंद्र सरकार के प्रस्ताव को मानने से इनकार कर दिया है. किसानों ने बुराड़ी पार्क जाने से मना कर दिया है.

किसानों का कहना है कि बुराड़ी खुली जेल की तरह है. इस बीच किसानों को एक बार फिर मनाने के लिए केंद्र सरकार हरकत में आ गई है. Agricultural law protest

केंद्रीय मंत्रियों को दी गई जिम्मेदारी Agricultural law protest

नए कृषि कानून के बार में किसानों को जागरुक करने की जिम्मेदारी केंद्रीय मंत्रियों को दी गई है. इसी कड़ी में केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ट्वीट कर कृषि कानूनों के बारे में जानकारी दी. Agricultural law protest

रविशंकर प्रसाद ने ट्वीट कर लिखा “नए कृषि कानून APMC मंडियों को समाप्त नहीं करते हैं. मंडियाँ पहले की तरह ही चलती रहेंगी. Agricultural law protest

नए कानून ने किसानों को अपनी फसल कहीं भी बेचने की आज़ादी दी है. जो भी किसानों को सबसे अच्छा दाम देगा वो फसल खरीद पायेगा चाहे वो मंडी में हो या मंडी के बाहर.”

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प्रकाश जावड़ेकर ने कहा गलतफहमी में ना रहें किसान

इसके बाद पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ट्वीट कर लिखा “कृषि कानून पर गलतफहमी ना रखें. पंजाब के किसानों ने पिछले साल से ज्यादा धान मंडी में बेचा और ज़्यादा #MSP पर बेचा.

MSP भी जीवित है और मंडी भी जीवित है और सरकारी खरीद भी हो रही है.” Agricultural law protest

गौरतलब है कि किसानों के विरोध के बावजूद लोकसभा और राज्यसभा में पास होने बिल और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अब यह कानून बन चुका है. Agricultural law protest

केंद्र लगातार दावा कर रही है कि इस कानून से किसानों को फायदा होगा लेकिन किसान संगठन से जुड़े लोग इस कानून से कुछ उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने का आरोप लगा रहे हैं.

किसान कृषि कानून को काला कानून बताते हुए इसे रद्द करने की मांग कर रहे हैं. कल पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में भी कृषि कानून के फायदे गिनाए थे. Agricultural law protest

लेकिन किसान अपनी मांगों पर आज भी अडिग हैं.

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