केंद्र की मोदी सरकार द्वारा कृषि कानून को पास करना अब उसके ही गले की हड्डी साबित हो रही है. Agricultural law protest
शनिवार को किसान और सरकार के बीच होने वाली पांचवें दौर की बातचीत के बाद भी कोई ठोस हल नहीं निकला जिसके बाद किसानों ने विरोध प्रदर्शन को तेज कर दिया है.
किसान संगठन लगातार सरकार से कानून वापस लेने की मांग कर रही है. लेकिन सरकार इस मामले को लेकर बीच का रास्ता निकालने के लिए लगातार कोशिश कर रही है.
अगली बैठक पर टिकी सबकी नजर Agricultural law protest
इस बीच किसानों ने अब किसानों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान किया है. इसी के साथ सबकी निगाहें अब 9 दिसंबर को सरकार के साथ होने वाली किसानों पर बातचीत पर टिकी है.
शनिवार को होने वाली बैठक करीब चार घंटों तक चली जिसमें तीन केंद्रीय मंत्रियों के साथ कई वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया.
बातचीत के बाद किसान नेताओं ने कहा कि सरकार ने इस मुद्दे के समाधान के लिए अंतिम प्रस्ताव पेश करने के वास्ते आंतरिक चर्चा के लिए और समय मांगा है.
किसान आंदोलन का 11वां दिन
इस बीच नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन 11वें दिन में प्रवेश कर लिया है. दिल्ली की अलग-अलग सीमा पर किसान सरकार से आरपार की लड़ाई का मूड बनाकर डंटे हुए है.
किसानों का विरोध प्रदर्शन गाजीपुर बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर के साथ ही साथ सिंधु सीमा पर जारी है. इसके अलावा बुराडी ग्राउंड पर भी कुछ किसान प्रदर्शन कर रहे हैं.
आपसी चर्चा के बाद आगे की रणनीति Agricultural law protest
किसानों और सरकार के बीच 5 राउंड की बात हो चुकी है. लेकिन गतिरोध है कि कम होने का नाम नहीं ले रहा. शनिवार को होने वाली बैठक के बाद किसान नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार ने कहा है कि वे हमें 9 दिसंबर को एक प्रस्ताव भेजेंगे. Agricultural law protest
हम (किसान) आपस में इस पर चर्चा करेंगे, जिसके बाद उसी दिन उनके साथ बैठक होगी. वहीं, किसान नेता बूटा सिंह ने कहा कि हम कानून रद्द करा कर ही मानेंगे. इससे कम पर हम मानने वाले नहीं हैं.
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