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कृषि बिल को मिली राष्ट्रपति की मंजूरी, अकाली दल ने बताया देश के लिए काला दिन

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लगातार हो रहे विरोधों के बावजूद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मॉनसून सत्र में संसद से पास किसानों और खेती से जुड़े कृषि बिलों (Agriculture Bill) को मंजूरी दे दी. किसान और राजनीतिक दल इस विधेयकों को वापस लेने की मांग कर रहे थे लेकिन उनकी अपील किसी काम न आई. तीनों विवादास्पद बिल अब कानून बन गए हैं.

राष्ट्रपति ने J-K आधिकारिक भाषा बिल 2020 पर भी अपनी सहमति दे दी है. उधर शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने इसे भारत के लिए काल दिन बताया है.

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सुखबीर बादल ने कहा, “यह वास्तव में भारत के लिए एक काला दिन है कि राष्ट्रपति ने राष्ट्र के विवेक के रूप में कार्य करने से इनकार कर दिया है. हमें बहुत उम्मीद थी कि वह इन बिलों (Agriculture Bill) को संसद में पुनर्विचार के लिए लौटा देंगे, जैसा कि अकाली दल और कुछ अन्य विपक्षी दलों ने मांग की थी.”

बिल का लगातार हो रहा है विरोध

गौरतलब है कि इन कृषि विधेयकों  (Agriculture Bill) का भारी विरोध हो रहा है. खासतौर से पंजाब और हरियाणा के किसान इस बिल के विरोध में सड़कों पर उतरे हुए हैं. वहीं दूसरी तरफ विपक्षी दल भी इन विधेयकों का विरोध कर रहे हैं. यहां तक की एनडीए में शामिल शिरोमणि अकाली दल ने इन बिलो का विरोध करते हुए पहले सरकार और फिर एनडीए से बाहर जाने का फैसला कर लिया. बता दें शिरोमणि अकाली दल बीजेपी का सबसे पुराने सहयोगियों में से एक रहा है.

संसद के मॉनसून सत्र में लाए गए कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक-2020 को पहले संसद के दोनों सदनों की मंजूरी मिल चुकी है. अब इस पर राष्ट्रपति की मुहर भी लग चुकी है. ये तीनों विधेयक कोरोना काल में पांच जून को घोषित तीन अध्यादेशों की जगह लेंगे.

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