नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बीते दिनों एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा था कि कृषि कानूनों को रद्द कर हम एक कदम पीछे हटे हैं. लेकिन हम फिर आगे बढ़ेंग, उनके इस बयान पर सियासत तेज हो गई थी. लेकिन बाद में उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि केंद्र सरकार की कृषि कानूनों को वापस लाने की कोई योजना नहीं है उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया था.
कृषि मंत्री के इस बयान पर किसान नेता राकेश टिकैत ने पलटवार करते हुए कहा कि आंदोलन सिर्फ स्थगित हुआ है. ना ही किसान कहीं गए है, ना सरकार कहीं गई है. अब किसानों के आंदोलन के लिए 13 महीने की ट्रेनिंग होगी. संयुक्त किसान मोर्चा कोई चुनाव नहीं लड़ रहा है. 15 जनवरी को हमारी अगली बैठक है. आंदोलन अभी सिर्फ स्थगित हुआ है, जो किसान गए हैं वो 4 महीने की छुट्टी पर गए हैं.
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने एक ट्वीट कर लिखा” हम नहीं चाहते देश का प्रधानमंत्री माफी मांगे. हम उनकी प्रतिष्ठा विदेश में खराब नहीं करना चाहते. कोई फ़ैसला होगा तो बगैर किसानों की मर्ज़ी के भारत में फ़ैसला नहीं होगा. हमने ईमानदारी से खेत में हल चलाया लेकिन दिल्ली की कलम ने भाव देने में बेईमानी की.”
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को प्रकाश पर्व के मौके पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर सभी को चौंका दिया था. इतना ही नहीं संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक दोनों सदनों में पारित किया जा चुका है. उसके बाद कई मुद्दों पर सरकार और आंदोलनकारी नेताओं के बीच सहमति बनने के बाद किसान नेताओं ने आंदोलन को स्थगित करने का ऐलान किया था.
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