अहमदाबाद: भगवान जगन्नाथ की 143 वीं रथयात्रा को लेकर गुजरात हाईकोर्ट में देर रात तक सुनवाई चली जिसके बाद कोर्ट ने सरकार की याचिका को खारिज कर रथयात्रा पर लगाई गई रोक को बरकरार रखा. कोर्ट के इस फैसले के बाद मंदिर परिसर में ही भगवान जगन्नाथ की 143 वीं रथयात्रा निकाली गई. अहमदाबाद के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है जब भगवान जगन्नाथ कि रथयात्रा मंदिर के बाहर नहीं निकाला गया.
मंदिर में सुबह 4 बजे मंगला आरती की गई. जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह उपस्थित होने वाले थे लेकिन किसी कारणवश वे नहीं आ सके. जिसके बाद गुजरात के गृहमंत्री प्रदीप सिंह जाडेजा और अहमदाबाद के मेयर बिजल पटेल ने विशेष मंगला आरती में हिस्सा लिया. मंगला आरती के बाद भगवान की आंखों से पट्टी हटाने की विधि को की गई और जगन्नाथ का प्रिय खिचड़ा का प्रसाद चढ़ाया गया.
उसके बाद भगवान जगन्नाथ, भाई बलराम और बहन सुभद्रा को रथ में बैठाया गया. प्रत्येक रथ को खींचने के लिए 10 नाविकों को अनुमति दी गई है. इस दौरान हाथी-घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की, जय रणछोड़, माखन चोर के नारों से मंदिर परिसर गूंज उठा.
भगवान जगन्नाथ की 143 वीं रथयात्रा कोरोना महामारी की वजह से नगर भ्रमण नहीं करेगी. गुजरात हाईकोर्ट की रोक के बाद मंदिर परिसर के अंदर ही रथयात्रा निकालने का फैसला किया गया है. इस बार रथयात्रा मंदिर परिसर में ही सात फेरे लगाएगी.
गुजरात हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कोरोना संकटकाल में कोरोना के फैलाव को रोकने के लिए रथयात्रा नहीं निकालनी चाहिए. वहीं सरकार की ओर मामले को लेकर दलील दी गई थी कि जिस तरीके से सुप्रीम कोर्ट ने पुरी जगन्नाथ की रथयात्रा को शर्तों के साथ निकालने की इजाजत दी है उसी तरह से अहमदाबाद में भी रथयात्रा को निकालने की इजाजत दी जानी चाहिए. जिसके जवाब में उच्च न्यायालय ने कहा कि पुरी और अहमदाबाद की रथयात्रा की तुलना नहीं की जा सकती.
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