अहमदाबाद: शहर के नवरंगपुरा इलाके में मौजूद श्रेय अस्पताल में आग लगने के बाद ऐसी ही एक और घटना राजकोट के उदय शिवानंद अस्पताल में घटित हुई थी.
कोविड अस्पताल में आग लगने के मामले को लेकर गुजरात हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने फायर एनओसी को लेकर गुजरात सरकार को जमकर फटकार लगाई थी. Ahmedabad Hospital NOC
सुप्रीम कोर्ट भी फायर सेफ्टी को लेकर गुजरात सरकार को लगा चुकी है फटकार Ahmedabad Hospital NOC
अदालत ने अपने आदेश में अस्पतालों को अगले 4 हफ्तों के भीतर फायर एनओसी लेने का निर्देश दिया था. अदालत ने कहा कि कोरोना का इलाज करने वाले अस्पतालों ने फायर एनओसी नहीं ली, ऐसे अस्पतालों को चार सप्ताह के भीतर तुरंत फायर एनओसी लेना चाहिए. इतना ही नहीं अदालत ने आदेश दिया कि यदि अस्पताल चार सप्ताह के भीतर एनओसी नहीं लेती हैं, तो राज्य सरकार को उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए.
अहमदाबाद नगर निगम जारी किया लिस्ट
इस बीच, अहमदाबाद नगर निगम ने अस्पतालों में फायर एनओसी को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े जारी किए हैं. एएमसी के अनुसार, सरकारी अस्पताल सोला सिविल सहित शहर के 287 निजी अस्पतालों में फायर एनओसी नहीं हैं.
अहमदाबाद नगर निगम ने ऐसे अस्पतालों की सूची जारी की है. Ahmedabad Hospital NOC
फायर विभाग के अनुसार, अगर अस्पतालों में फायर एनओसी होगी और आग से निपटने के लिए अस्पताल के कर्मचारियों प्रशिक्षण नहीं दिया जाएगा तो आग लगने के मामले के लिए अस्पताल प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया जाएगा.
अहमदाबाद की 287 अस्पतालों के पास फायर NOC नहीं Ahmedabad Hospital NOC
एएमसी द्वारा जारी बिना एनओसी वाले अस्पतालों की अधिकांश सूची में अहमदाबाद के पश्चिमी हिस्से में अस्पतालों का नाम है. विशेष रूप से, एसजी हाइवे, थलतेज, सोला, घाटलोडिया और वस्त्रापुर जैसे क्षेत्रों में लगभग 100 अस्पताल हैं, जिनके पास फायर एनओसी नहीं है. Ahmedabad Hospital NOC
उल्लेखनीय है कि हाल ही में उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने सोला सिविल अस्पताल का दौरा किया था. इस सरकारी अस्पताल के पास भी फायर एनओसी नहीं. एएमसी द्वारा जारी सूची के नीचे एक नोट भी लिखा गया है.
जिसमें लिखा है कि शहर के 287 अस्पतालों के पास फायर एनओसी नहीं है. ऐसे अस्पतालों को तत्काल फायर एनओसी लेने के लिए सूचित किया जाता है. Ahmedabad Hospital NOC
साथ ही इस नोटिस में निर्देश दिया गया है कि ऐसे अस्पताल जब तक फायर एनओसी नहीं लेते वह नए मरीजों को इलाज के लिए भर्ती नहीं करना चाहिए.
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