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#Column: क्या कोरोना संकट के बीच अहमदाबाद ‘केंद्र शासित प्रदेश’ में तब्दील हो गया है?

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घोर कोरोना संकट के दरमियां अहमदाबाद वास्तव में एक ‘केंद्र शासित प्रदेश’ बन गया है क्योंकि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने शहर की परिस्थितियों को नियंत्रण में लाने के लिए हो रहे प्रयासों में गहरी रुचि दिखाई है.

वरिष्ठ आईएएस अधिकारी राजीव कुमार गुप्ता को अहमदाबाद में स्थिति को नियंत्रण में लाने का काम सौंपा गया है. शहर की स्थिति को जल्दी नियंत्रण में लाने के लिए उन्हें फैसले लेने के स्वतंत्र अधिकार दिए गए हैं, भले ही वे कठिन क्यों न हों. सरकार के सूत्रों का कहना है कि गुप्ता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेहद करीबी माने जाते हैं. सूत्रों ने दावा किया कि वह सीधे हर रोज पीएमओ को रिपोर्ट दे रहे हैं.

मामले की जानकारी रखने वालों का कहना है कि जिस तरह से AMC कमिश्नर कोरोना के प्रसार को रोकने से जूझ रहे थे, उससे मोदी नाराज थे क्योंकि जिले में कोरोना के कारण मृत्यु में बढ़ोतरी भी देखने को मिली थी. वास्तव में नगर निगम के आयुक्त विजय नेहरा के उन अस्पष्ट दावों से पीएमओ चिंतित था जिसमें उन्होंने कहा था कि अहमदाबाद के मामले जल्द ही एक लाख का आंकड़ा पार कर जाएंगे.

इसके बाद पीएमओ ने राज्य सरकार को अहमदाबाद की स्थिति से निपटने के लिए कुशल अधिकारियों को काम पर लगाया जाने के निर्देश दिए. जब उनसे सुझाव मांगे गए, तो गुप्ता का नाम प्रमुखता से सामने आया क्योंकि वह स्टेचू ऑफ यूनिटी जैसी परियोजानओं के सफल क्रियान्वयन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिल के बेहद करीब हो गए थे. इसलिए प्रभारी नगर आयुक्त के रूप में मुकेश कुमार के साथ गुप्ता को पूरी स्थिति की देखरेख करने और प्रभावी कदम उठाने के लिए नियुक्त किया गया.

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, जो दो दशकों से गांधीनगर, गुजरात की नौकरशाही और राजनीति को करीब से देख रहै हैं)

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