इन दिनों जहां पूरे देश में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन चल रहा है वहीं पुलिस ऐसे प्रदर्शन को खत्म करने के लिए दबाव डाल रही है. चाहे वह उत्तर प्रदेश हो या फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राज्य गुजरात हर जगह पर प्रदर्शनकारियों पर पुलिस दबाव डालकर इस प्रदर्शन को खत्म कर रही है. इतना ही नहीं कई राज्यों में इस कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन करने की इजाजत नहीं दी जा रही है. ऐसे में प्रदर्शन करने वाले लोग कोर्ट का रुख कर रहे हैं. लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक ऐसा अवलोकन किया है जिसके अनुसार CAA के खिलाफ प्रदर्शन करने की अनुमति देना देशहित में नहीं माना जाएगा.
मामला है उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले का, मोहम्मद फुरकान ने इस दलील के साथ अदालत का रुख किया था कि कुछ विद्यार्थी सीएए के विरोध में प्रदर्शन करना चाहते हैं. लेकिन जिला प्रशासन उन्हें इस बात की अनुमति नहीं दे रहा है. इस याचिका पर आपत्ति जताते हुए राज्य सरकार के वकील ने कहा कि इससे पहले 20 दिसंबर 2019 को फिरोजाबाद में कई जगहों पर हिंसा हुई थी.
न्यायमूर्ति भारती सप्रू और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की पीठ ने कहते हुए यह याचिका खारिज कर दी कि ‘याचिकाकर्ता को किसी भी तरह की राहत देना बिल्कुल भी राष्ट्रहित में नहीं है. यदि याचिकाकर्ता भारत का नागरिक है तो उसे किसी भी कीमत पर शांति बनाए रखना होगा. हम इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते.