अहमदाबाद: शहर में कोरोना संक्रमितों की संख्या में वृद्धि का सिलसिला जारी है. दैनिक मामलों पर काबू पाने के लिए जिला प्रशासन सख्त कदम उठा रही है.
लेकिन अहमदाबाद में बीते कुछ दिनों से 5 हजार से ज्यादा नए मामले दर्ज हो रहे हैं. AMC 108 ambulance service major decision
इस बीच आज राज्य के मुख्य सचिव डॉ. राजेंद्र कुमार गुप्ता की अध्यक्षता में एक विशेष बैठक साबरमती रिवरफ्रंट हाउस में आयोजित की गई. इस बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं.
नगर निगम ने किया था तुगलकी फैसला AMC 108 ambulance service major decision
अभी कुछ दिन पहले नगर निगम ने तुगलकी फरमान जारी किया था जिसके तहत सिर्फ 108 एंबुलेंस से जाने वाले मरीजों को अस्पताल में भर्ती किया जा रहा था.
लेकिन जब भी कोई मरीजो एंबुलेंस के लिए फोन करता था तब उसे टोकन दिया जाता था कि आपका नंबर दो दिन बाद आएगा. इतने दिन इंतजार करने पर मरीज की मौत हो जाती थी.
ऐसे में कुछ कोरोना संक्रमित मरीज के रिश्तेदार अपने प्राइवेट वाहन से अस्पताल ले जाते थे. लेकिन ऐसे लोगों को इलाज के लिए भर्ती नहीं किया जा रहा था.
आज होने वाली बैठक में इस फैसले को भी रद्द कर दिया गया है. AMC 108 ambulance service major decision
आलोचना के बाद बदलना पड़ा फैसला
इसके अलावा अहमदाबाद नगर निगम ने एक और अजीब फैसला लिया था. इस फैसले की वजह से गुजरात सरकार को काफी आलोचना भी झेलना पड़ा था.
नगर निगम के फैसले के तहत सरकारी अस्पतालों में सिर्फ उन्ही लोगों का इलाज होगा जिनके पास अहमदाबाद का आधार कार्ड होगा. AMC 108 ambulance service major decision
यानी उस आधार कार्ड में मरीज का एड्रेस अहमदाबाद का होगा तभी उसका इलाज किया जाएगा. हालाँकि अब इस अड़ियल नियम को भी कोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद AMC ने हटा लिया है.
गुजरात हाईकोर्ट से दखल देने की किया मांग AMC 108 ambulance service major decision
कोरोना के दैनिक मामलों में दर्ज की जाने वाली वृद्धि की वजह से गुजरात की स्थिति दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है. राज्य में हो रही मौतों ने गुजरात मॉडल की हवा निकाल दी है.
गुजरात असहाय, अनाथ और बेसहारा हो गया है जिसकी वजह से कोरोना संक्रमित भगवान के भरोसा पर जी रहे हैं.
इस बीच सरकार के नए नियमों से लोगों को काफी परेशानी हो रही थी. AMC 108 ambulance service major decision
इस मामले को लेकर कांग्रेस विधायक ग्यासुद्दीन शेख ने उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर ऐसा अजीब निर्णय लेने वाले अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की थी.
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