दीपक मसला, अहमदाबाद : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस के पीड़ितों का इलाज करने वाले डॉक्टरों, स्वास्थ्य कर्मचारियों और आपातकालीन सेवा कर्मियों की लोगों से सराहना करने की अपील की थी जो अपनी जान की परवाह किए बगैर काम में जुटे हुए हैं. हालांकि, आए दिन डॉक्टरों से जुड़ी हृदय विदारक घटनाएं देखने और सुनने को मिल रही हैं. एक ऐसी ही घटना अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) की सम्मानित महिला डॉक्टर रूपल बेन की सामने आई है जिन्होंने रोते-रोतो अपनी आपबीती का एक वीडियो रिकॉर्ड किया है.
जमालपुर में एक चिकित्सा अधिकारी के रूप में तैना रूपलबेन को 14 दिनों तक बीमार रहने के बाद कोरोना टेस्ट के लिए नमूना लिया गया था. हालांकि तबियत खराब होने के बावजूद उन्हें काम के लिए उपस्थित रहने का निर्देश दिया. जब उनकी सेहत ज्यादा खराब हुई तो रूपलबेन एसवीपी अस्पताल गईं जहां उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई.
रूपलबेन को आइसोलेश वार्ड में रखा गया जहां उनके साथ आम आदमी की तरह व्यवहार किया गया. परिस्थितियां इतनी खराब थीं कि महिला अधिकारी को खुद से अस्पताल में भर्ती होने के लिए जाना पड़ा लेकिन इस दौरान नगर निगम के एक भी शीर्ष अधिकारी ने रूपलबेन या उनके परिवार की कोई खैर-खबर नहीं ली.
सुनिये AMC महिला डॉक्टर की आपबीती #Covid_19 #ahmedabadfightscorona @Nitinbhai_Patel @vnehra @ibijalpatel @AmdavadAMC @AMC_Complaints pic.twitter.com/8zENFARGPW
— Gujarat Exclusive Hindi (@HindiGujaratEx) April 23, 2020
कोरोना महामारी में देशवासियों के लिए सच्चाई, ईमानदारी और नैतिकता के साथ काम करने वाली रूपलबेन ने अपने वीडियो में कहा कि उनके बेटे को उनसे बात करते हुए चक्कर आ गया. पति भी हताश और निराश हैं. हालांकि, एक भी अधिकारी या कर्मचारी अपने परिवार के पक्ष में नहीं है. वीडियो में वह अधिकारियों से मेरी मदद करने और मेरे परिवार की देखभाल करने की भीख मांग रही हैं.
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