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अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन में बोले अमित शाह, मुझे गुजराती से ज्यादा हिंदी भाषा पसंद

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वाराणसी: गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वाराणसी में अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन का शुभारंभ किया. इस मौके उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ईश्वर ने हमें अभिव्यक्ति का माध्यम दिया है और अभिव्यक्ति का माध्यम है हमारी भाषा. देश और दुनिया में सबसे ज़्यादा बोलने वाली भाषा है हिंदी लेकिन हिंदी की उपेक्षा इससे समझ सकते हैं कि इस सम्मेलन को आयोजित करने में आज़ादी के बाद भी 75 वर्ष लग गए.

वाराणसी में अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि राजभाषा को गति देने का जरिया अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन को दिल्ली के गलियारों से बाहर निकालने का निर्णय हमने 2019 में ही कर लिया था लेकिन 2 साल कोरोना काल में हम नहीं कर पाए. लेकिन मुझे आनंद है कि ये नई शुरुआत उस वर्ष में होने जा रही है जो हमारी आज़ादी का अमृत महोत्सव है.

इतना ही नहीं गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मेरी मातृभाषा गुजराती है, मुझे गुजराती बोलने में कोई परहेज नहीं है. लेकिन मैं गुजराती ही जितना बल्कि उससे अधिक हिंदी प्रयोग करता हूं. शाह ने आगे कहा कि हम सब हिन्दी प्रेमियों के लिए ये संकल्प का वर्ष रहना चाहिए कि जब आज़ादी के 100 वर्ष हों तब देश में राजभाषा और सभी स्थानीय भाषाओं का दबदबा इतना बुलंद हो कि हमें किसी भी विदेशी भाषा का सहयोग लेने की जरूरत न पड़े. मैं मानता हूं कि ये काम आज़ादी के तुरंत बाद होना चाहिए था.

इस मौके पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आगे कहा कि हिन्दी और हमारी स्थानीय भाषाओं के बीच में कोई अंतर्विरोध नहीं है, हिन्दी सभी स्थानीय भाषाओं की सखी है. ये दोनों पूरक हैं. जो देश अपनी भाषा खो देता है वो कालक्रम में अपनी सभ्यता, संस्कृति और अपने मौलिक चिंतन को भी खो देता है. जो देश अपने मौलिक चिंतन को खो देते हैं वो दुनिया को आगे बढ़ाने में योगदान नहीं कर सकते. लेकिन हिन्दी की स्वीकृति लानी है तो हिन्दी को लचीला बनाना पड़ेगा. हिन्दी के शब्दकोष को भी समृद्ध करने की जरूरत है.

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