पांच राज्यों में अगले कुछ दिनों विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. लेकिन सबसे ज्यादा सियासी सरगर्मियां उत्तर प्रदेश में दिखाई दे रही है. राजनीतिक जानकारों की माने तो यूपी को दिल्ली का दरवाजा कहा जा रहा है. ऐसे में भाजपा लगातार कोशिश कर रही है कि चुनाव में वापसी की जाए. भाजपा के कई दिग्गज नेता लगातार यूपी का दौरा कर सियासी माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
उत्तर प्रदेश के अनुपशहर में गृह मंत्री अमित शाह ने एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए एक बार फिर जयंत चौधरी को नसीहत देते हुए नजर आए. शाह ने कहा कि परसों के प्रेस कॉन्फ्रेंस में अखिलेश जी ने जयंत चौधरी जी को अपने साथ बैठाया था. जयंत जी को लगता है कि अगर सरकार बनेगी, तो अखिलेश बाबू उनकी सुनेंगे. अरे! जयंत बाबू जो अपने पिताजी और चाचा जी की नहीं सुनते, वो आपकी क्या सुनेंगे.
इसके अलावा अमित शाह ने कहा कि SP-BSP ने 10 साल तक UPA सरकार का समर्थन किया था. मैं इनसे पूछता हूं कि आपने जिस सरकार का समर्थन किया था, उसने उत्तर प्रदेश को क्या दिया?, 2014-15 में UPA सरकार ने यूपी को 66,000 करोड़ रु. दिया और मोदी सरकार ने इस बजट में 1,46,500 करोड़ रुपया यूपी को दिया है.
गौरतलब है कि इससे पहले भी अमित शाह अखिलेश और जयंत के गठबंधन पर हमला बोल चुके हैं. बीते दिनों मुजफ्फरनगर में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि अखिलेश यादव और जयंत चौधरी की प्रेस कांफ्रेंस देखी, अखिलेश ने बहुत अच्छे से बात की कि हम साथ-साथ हैं लेकिन आप साथ-साथ सिर्फ मतगणना तक हो, अगर सरकार बन गई तो जयंत भाई निकल जाएंगे और आजम खान बैठ जाएंगे. टिकटों के बंटवारे से ही समझ में आ गया है कि आगे क्या होने वाला है.
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