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कोरोना के बढ़ते कहर के बीच एक और बुरी खबर, छटनी के मूड में बड़ी कंपनियां

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कोरोना वायरस महामारी से पूरी दुनिया जूझ रही है. हर एक देश की आर्थिक हालत कोरोना के चलते खस्ता होती नजर आ रही है. इस वायरस की वजह से सभी देशों को तगड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है. जिन देशों में पर्यटक आधिक आते हैं वहां तगड़ा झटका लगा है. देश में 21 दिन का लॉकडाउन घोषित किया जा चुका है. उत्तर प्रदेश की ताज नगरी आगरा में जहां पर्यटकों की चहल पहल हमेशा बनी रहती है, वहां सन्नाटा पसरा हुआ है. फरवरी 2020 के बाद से पर्यटकों की संख्या में भारी कमी आई है. कई ट्रैवेल एजेंसियों के सैकड़ों कर्मचारी घर पर बैठे हुए हैं. इन एजेंसियों की बसें कारें धूल खा रही हैं.

एक ट्रैवेल एंजेंसी के ऑपरेटर सुनील गुप्ता ने बताया कि सितम्बर तक पर्यटकों के आने की कई उम्मीद नहीं है. ऐसे में कर्मचारियों को 6 महीने तक घर बैठे सैलरी देना पड़ेगा. सुनील गुप्ता बड़े ट्रैवेल ऑपरेटर हैं. इसलिए वो ऐसा कर रहे हैं. बाकी ट्रैवेल एंजेसियां सैलरी देने की स्थति में नहीं है. ऐसे हालात में बहुत सी एजेंसियां छंटनी के मूड में है. लिहाजा लाखों लोगों की नौकरी पर खतरा मंडरा रह रहा है.

नौकरियों का खतरा सबसे ज्यादा वहां बढ़ गया है, जहां लोगों को रेगुलर सैलरी नहीं मिलती. उदाहरण के तौर पर पर्यटन उद्योग है. इस सेक्टर में शामिल लोगों को रेगुलर सैलरी नहीं होती है. बहुत से लोग बिना किसी कॉन्ट्रैक्ट के काम करते हैं. इसमें गाइड भी शामिल हैं. जिनकी रोजी रोटी पर खतरा बना हुआ है. दुकानों, होटलों में काम करने वाले लोग इस उद्योग में शामिल है.

कोरोना वायरस के प्रकोप से बहुत से मजदूर वर्ग को रोजगार नुकसान होता है. इंडस्ट्री के संगठन CII ने कहा है कि केवल पर्यटन और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर से ही 2 करोड़ नौकरियां जा सकती हैं. ये दोनों सेक्टर बीमारू सेक्टर बन सकते हैं. साथ ही आधे से अधिक पर्यटन हॉस्पिटैलिटी सेक्टर बंद हो सकते हैं. अक्टूबर 2020 के बाद ही उद्योग जगत के हालात सुधरने की उम्मीद है.

यही हालात मैन्युफैक्चरिंग और नॉन मैन्युफैक्चरिंग जैसे दूसरे सेक्टर के भी हैं. मांग में कमी के चलते जिन लोगों की नौकरी अभी बनी हुई है, उन पर भी खतरों के बादल मंडराने लगे हैं. कुल मिलाकर देश में 136 मिलियन (13.6 करोड़) लोगों की नौकरी पर खतरा बढ़ गया है.

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