बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले (Babri Demolition Case) में सीबीआई की विशेष अदालत का फैसला आ गया है. 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में जो हुआ उस पर सीबीआई की विशेष अदालत ने बुधवार को अपना फैसला सुनाया. अदालत ने बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी समित सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है.
बाबरी विध्वंस मामले (Babri Demolition Case) में फैसला सुनाते हुए जज एसके यादव ने कहा है कि विवादित ढांचा गिराने की घटना पूर्व नियोजित नहीं थी. ये घटना अचानक हुई थी.
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नहीं पहुंची दिग्गज नेता
कोर्ट ने सभी आरोपियों को सुनवाई के दौरान मौजूद रहने के आदेश दिए थे लेकिन लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, सतीश प्रधान, महंत गोपालदास और उमा भारती नहीं पहुंच पाए. ये सभी लोग नीजि कारणों से कोर्ट नहीं पहुंचे. हालांकि इनमें से ज्यादातर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हाजिर हुए.
ये थे आरोपी
आरोपियों में वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, महंत नृत्य गोपाल दास, साध्वी ऋतम्भरा, चम्पत राय, विनय कटियार, राम विलास वेदांती, महंत धरम दास, पवन पांडेय, ब्रज भूषण शरण सिंह, साक्षी महाराज,सतीश प्रधान, आरएन श्रीवास्तव, तत्कालीन डीएम, जय भगवान गोयल, रामचंद्र खत्री , सुधीर कक्कड़, अमरनाथ गोयल, संतोष दुबे, प्रकाश शर्मा, जयभान सिंह पवैया, धर्मेंद्र सिंह गुर्जर, लल्लू सिंह, वर्तमान सांसद, ओम प्रकाश पांडेय, विनय कुमार राय, कमलेश त्रिपाठी, गांधी यादव, विजय बहादुर सिंह, नवीन शुक्ला, आचार्य धर्मेंद्र, रामजी गुप्ता के नाम शामिल थे.
अयोध्या में बाबरी मस्जिद का ढांचा ढहाने के मामले (Babri Demolition Case) में 28 साल बाद फैसला आएगा. यह मुकदमे के निपटारे और फैसला सुनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की तय समयसीमा की अंतिम तारीख है. इस लंबे खिचे मुकदमें ने वास्तविक रफ्तार तब पकड़ी जब सुप्रीम कोर्ट ने इसे निबटाने की समयसीमा तय की.