कोरोना संकट के बीच आज देशभर में बकरीद मनाई जा रही है. बकरीद के नाम से मशहूर ईद-उल-अजहा मुस्लिम समाज का खास त्योहार है. दिल्ली की जामा मस्जिद में लोगों ने सुबह 6 बजकर 5 मिनट पर नमाज अदा की.
कोरोना संकट के चलते कुछ लोगों ने मस्जिद की सीढ़ियों पर बैठकर भी नमाज अदा की.
मस्जिद प्रशासन ने लोगों से बार-बार सोशल डिस्टेंसिंग बनाकर नमाज अदा करने की अपील की.
कुछ नमाजी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते नजर आए तो कुछ ने उल्लंघन भी किया.
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पीएम मोदी ने दी शुभकामनाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बकरीद के मौके पर लोगों को शुभकामनाएं दीं.
Eid Mubarak!
Greetings on Eid al-Adha. May this day inspire us to create a just, harmonious and inclusive society. May the spirit of brotherhood and compassion be furthered.
— Narendra Modi (@narendramodi) August 1, 2020
पीएम मोदी ने ट्वीट किया कि यह दिन हमें एक न्यायपूर्ण, सामंजस्यपूर्ण और समावेशी समाज बनाने के लिए प्रेरित करता है.
इस दिन भाईचारे और करुणा की भावना को आगे बढ़ाया जा सकता है.
राष्ट्रपति ने दिया बधाई संदेश
वहीं देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी ईद की शुभकामनाएं देते हुए ट्वीट किया.
ईद मुबारक। ईद-उल-जुहा का त्योहार आपसी भाईचारे और त्याग की भावना का प्रतीक है तथा लोगों को सभी के हितों के लिए काम करने की प्रेरणा देता है।
आइए, इस मुबारक मौके पर हम अपनी खुशियों को जरूरतमंद लोगों से साझा करें और कोविड-19 की रोकथाम के लिए सभी दिशा-निर्देशों का पालन करें।
— President of India (@rashtrapatibhvn) August 1, 2020
उन्होंने लिखा कि ईद मुबारक, ईद-उल-जुहा का त्योहार आपसी भाईचारे और त्याग की भावना का प्रतीक है तथा लोगों को सभी के हितों के लिए काम करने की प्रेरणा देता है.
राष्ट्रपति ने आगे लिखा, आइए, इस मुबारक मौके पर हम अपनी खुशियों को जरूरतमंद लोगों से साझा करें और कोविड-19 की रोकथाम के लिए सभी दिशा-निर्देशों का पालन करें.
त्याग और बलिदान का त्योहार
ईद-उल-अजहा को त्याग और बलिदान का त्योहार कहा जाता है.
इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक 12वें महीने की 10 तारीख को बकरीद या ईद-उल-जुहा मनाई जाती है.
बकरीद रमजान माह के खत्म होने के लगभग 70 दिनों के बाद मनाई जाती है.
इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, हजरत इब्राहिम ने अपने बेटे हजरत इस्माइल को इसी दिन खुदा के हुक्म पर खुदा की राह में कुर्बान किया था.
ऐसा माना जाता है कि खुदा ने उनके जज्बे को देखकर उनके बेटे को जीवनदान दिया था.