सूरत क्राइम ब्रांच ने एक खाते से ऑनलाइन बैंक धोखाधड़ी (Bank Fraud) के जरिए पैसे चुराने के मामले में दो नाइजीरियाई सहित पांच लोगों को गिरफ्तार किया है. सूरत सिटी की पुलिस ने बताया कि बैंक धोखाधड़ी (Bank Fraud) के लिए गिरोह ने एक यूनिक कंस्ट्रक्शन कंपनी के करंट और कैश क्रेडिट अकाउंट से जुड़े मोबाइल नंबर को निष्क्रिय कर दिया था.
उनके ये खाते बैंक ऑफ बड़ौदा में थे और कंपनी के दो खातों से 1,71,80,012 रुपये गबन कर लिए थे. एनईएफटी और आरटीजीएस के माध्यम से विभिन्न खातों में पैसा ट्रांसफर किया गया था.
साइबर सेल को शक है कि गिरोह ने बैंक धोखाधड़ी (Bank Fraud) को अंजाम देने के लिए किसी तरह कंपनी की मेल आईडी हैक कर ली और मोबाइल कंपनी को दो खातों से जुड़े पंजीकृत मोबाइल नंबर को बदलने के लिए अनुरोध किया था.
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बाद में उन्होंने ऑनलाइन बैंक खाते के पासवर्ड को बदलने के लिए एक अलग नंबर का उपयोग किया और बिहार, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में 12 अलग-अलग खातों में पैसे ट्रांसफर किए.
कैसे हुए ये सब
बैंक धोखाधड़ी (Bank Fraud) को अंजाम देने के लिए उत्तर प्रदेश में तीन खातों में ट्रांसफर किए 18 लाख रुपये सूरत के विकास सोलंकी के थे. जब सोलंकी से पूछा गया तो उसने कहा कि उसने अखबार में एक एमके एंटरप्राइज कंपनी में नौकरी के लिए अर्जी देखी थी. कंपनी ने उसे प्रति माह वेतन के रूप में 30,000 से 35,000 रुपये देने का वादा किया था. उसने विज्ञापन में दिए गए मोबाइल नंबर पर संपर्क किया.
सोलंकी ने कहा कि इसके लिए आईसीआईसीआई बैंक में एक बचत और चालू खाता खोलने की जरूरत थी. फिर उसने मोहित परमार को उसका विवरण दिया. इसके बाद वह मुंबई गए और अपने नए खुले ICICI बैंक खाते से पैसे निकाले.
विकास के साथ नेविल शुक्ला, राकेश मालवीय और इमरान भी थे. इसके बाद इमरान ने उनसे सारा कैश ले लिया.
बाद में नेविल और राकेश को क्रमशः राजकोट और सूरत से हिरासत में लिया गया. दोनों पुलिस को मुंबई के रहने वाले इमरान काजी के पास लेकर गए.
पकड़े गए नाइजीरियाई
इमरान ने पुलिस को बताया कि वह नए खोले गए खातों का ब्योरा देगा जिसमें नाइजीरियाई लोगों ने जमा पैसा मिला था. उन्होंने कहा कि नेविल और राकेश ने संबंधित खातों से पैसे निकाल लिए और उसके बाद नाइजीरियाई लोगों तक पैसा पहुंचाने का काम इमरान का काम था.
इसके बाद पुलिस ने राफेल हिंका और केल्विन ओज़ोखेचिनी नामक दो नाइजीरियाई के लिए एक जाल बिछाया.
नेविल ने कहा कि उसे खोले गए हर नए खाते के लिए 5% मिला. वह पैसा इकट्ठा करके इमरान को देता था. वहीं खाताधारकों को 2% कमीशन मिला.
राकेश ने पैसे वापस लेने में मदद करने के लिए मुंबई आए नए खुले खाताधारकों के लिए आवास, भोजन और परिवहन उपलब्ध कराया. इन सारी सुविधाओं को प्रदान करने के लिए उसे 1 प्रतिशत का कमीशन मिला.
इमरान पिछले आठ वर्षों से कई नाइजीरियन्स के साथ काम कर रहा था और उसे हेराफेरी से अर्जित की गई राशि का 8% कमीशन मिलता था.
राफेल और केल्विन हेराफेरी से अर्जित किए गए पैसे को ट्रांसफर करने के लिए नए खोले गए खातों का उपयोग करते थे. इमरान को रोजाना पैसा मिलता था और वह उसे नाइजीरियन्स को भेजता था.
पहले भी दर्ज हैं अपराध
तीनों पर पहले भी इसी तरह के जुर्म में केस दर्ज किए जा चुके हैं.
नेविल शुक्ला पर भावनगर में राज्य परिवहन की बसों के साथ फर्जी बिलिंग का आरोप है. वह वाहन चोरी और चेन स्नेचिंग की घटनाओं में भी आरोपी है.
राकेश मालवीय पर 2009 में एक फर्जी चेक मामले में और मुंबई में एक धोखाधड़ी के मामले में केस दर्ज किया गया था. इमरान काज़ी पर वडोदरा में नौकरी धोखाधड़ी मामले और मुंबई में धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया था.