प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों ‘मन की बात’में अयोध्या के मुद्दे का जिक्र किया था. उन्होंने इस दौरान अयोध्या मसले पर 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फ़ैसले का जिक्र करते हुए कहा था कि तब सरकार ने, राजनीतिक दलों ने, सामाजिक संगठनों ने, सिविल सोसायटी ने सामाजिक तनाव कम करने का काम किया था. मोदी ने कहा था कि लोगों ने न्यायपालिका का सम्मान किया और तनाव नहीं पैदा होने दिया. ऐसे में आज इस संवेदनशील मामले का फैसला आ चुका है.
देश के सर्वोच्च न्यायालय ने अयोध्या पर अपना फैसला सुना दिया है। इस फैसले को किसी की हार या जीत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
रामभक्ति हो या रहीमभक्ति, ये समय हम सभी के लिए भारतभक्ति की भावना को सशक्त करने का है। देशवासियों से मेरी अपील है कि शांति, सद्भाव और एकता बनाए रखें।
— Narendra Modi (@narendramodi) November 9, 2019
सुप्रिम कोर्ट के फैसले से पहले और बाद में पीएम मोदी ने ट्वीट कर लोगों से न्याय पालिका पर विश्वास रखने की अपील की दशकों से चल रहे अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आ गया है। फ़ैसले में सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जगह को रामलला का बताया है और मस्जिद के लिये दूसरी जगह ज़मीन देने का आदेश दिया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ़ैसला आने के बाद ट्वीट कर कहा है कि यह फ़ैसला न्यायिक प्रक्रियाओं में जन सामान्य के विश्वास को और मजबूत करेगा. प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमें हमारे देश की हजारों साल पुरानी भाईचारे की भावना के अनुरूप 130 करोड़ भारतीयों को शांति और संयम का परिचय देना है. भारत के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की अंतर्निहित भावना का परिचय देना है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के सर्वोच्च न्यायालय ने अयोध्या पर अपना फ़ैसला सुना दिया है और इस फ़ैसले को किसी की हार या जीत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि रामभक्ति हो या रहीमभक्ति, यह समय हम सभी के लिए भारतभक्ति की भावना को सशक्त करने का है। मोदी ने कहा कि देशवासियों से मेरी अपील है कि शांति, सद्भाव और एकता बनाए रखें.