गुजरात में राज्यसभा चुनाव की वजह से कोरोना महामारी का मुद्दा अब गौण साबित होता दिख रहा है. राज्य की सत्ताधारी पार्टी कोरोना महामारी से बिल्कुल हटकर अपने तीने उम्मीदवारों को राज्यसभा चुनाव में कामयाब बनाने के लिए जोड़-तोड़ की सियासत को शुरू कर दिया. गुजरात में जारी राजनीतिक घमासान के बीच अब तक कांग्रेस के 8 विधायक इस्तीफा दे चुके हैं.
जिसकी वजह से कांग्रेसी विधायकों को हॉर्स ट्रेडिंग से बचाने के लिए ज़ोन वाइज नेताओं को जिम्मेदारी दी गई है. राज्यसभा के कांग्रेस के उम्मीदवार भरत सिंह सोलंकी को मध्य जोन के विधायकों की जिम्मेदारी सौंपी गई है. उत्तर गुजरात के विधायकों की जिम्मेदारी सिद्धार्थ पटेल को सौंपी गई है. वहीं दक्षिण गुजरात के विधायकों की जिम्मेदारी तुषार पटेल को सौंप दी गई है. जबकि मध्य गुजरात के 10 विधायकों को आणंद जिला के एक रिसॉर्ट में रखने जाने की जानकारी मिल रही है.
मांगरोण विधायक ने बीजेपी पर गंभीर आरोप
इससे पहले मांगरोण के विधायक बाबूभाई वाजा ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा, “मुझे भी भाजपा द्वारा 15 करोड़ रुपये की पेशकश की गई है.” यह लगातार तीसरी बार है जब बीजीपी ने मुझे ऑफर दिया हो. बाबू वाजा ने गुजरात सरकार को सलाह देते हुए कहा कि सरकार को कोरोना महामारी से निपटने के लिए इन पैसों का उपयोग करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि गुजरात सरकार जिस पैसे से विधायकों को खरीद रही है उसी पैसे को वैज्ञानिकों और दवाओं के लिए खर्च करना चाहिए. ताकि जल्द से जल्द कोरोना के बढ़ते आतंक पर लगाम लगाया जा सके. इससे पहले भी मांगरोण के विधायक बाबूभाई वाजा ने दावा किया था कि उन्हें तीन विधायकों के साथ आने के लिए भाजपा ने 100 करोड़ रुपये की पेशकश की थी.
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