भारतीय रेलवे ने बड़ा फैसला लेते हुए ब्रिटिश काल से चली आई टेलीफोन अटेंडेंट-कम-डाक खलसिस (टीएडीके) के रूप में तैनात किए जाने वाला “बंगला चपरासी” की नई नियुक्ति पर रोक लगा दी है.
जिसके तहत रेवले के वरिष्ठ अधिकारियों के आवास पर काम करने वाले खलासियों या फिर बंगला चपरासी (चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी) प्रथा को खत्म कर दिया है.
अब नहीं की जाएगी नई नियुक्ति
टेलीफोन अटेंडेंट-कम-डाक खलसिस की नियुक्ति से संबंधित मुद्दा बोर्ड के सामने समीक्षा अधीन है. इसीलिए यह फैसला लिया गया है कि टेलीफोन अटेंडेंट-कम-डाक खलसिस को लेकर फिलहाल कोई नई नियुक्ति नहीं की जाएगी.
इतना ही नहीं 1 जुलाई 2020 से ऐसी नियुक्तियों के लिए अनुमोदित सभी मामलों की समीक्षा की जाएगी.
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बंगले पर रखने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को मिलने थे चपरासी
दरअसल रेलवे के नियमानुसार वरिष्ठ अधिकारियों को अपने बंगले पर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी रखने का अधिकार है. बंगले पर तीन साल तक कार्य करने के बाद उनकी तैनाती रेलवे कर्मचारी के रूप में हो जाती है.
इस दौरान वरिष्ठ अधिकारी नए बंगलो पीयोन की नियुक्ति कर लेता था. माना जा रहा है कि ब्रिटिश काल से चली आने वाली इस खलासी सिस्टम की वजह से भ्रष्टाचार भी जमकर होता था.
रलवे कर्मचारी संघ ने फैसले का किया स्वागत
रेलवे बोर्ड के अहम फैसला का पूर्वोत्तर रेलवे कर्मचारी संघ ने स्वागत किया है. संघ के प्रवक्ता एके सिंह ने कहा है कि हम इस व्यवस्था को समाप्त करने लंबे वक्त से मांग कर रहे थे.
यह व्यवस्था पारदर्शी नहीं रह गई थी. इस तरीके की नियुक्ति से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा था.
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