Gujarat Exclusive > राजनीति > तो क्या फिर बीजेपी का दामन छोड़ महागठबंधन में लौटेंगे नीतीश… तेजस्वी को ऐतराज

तो क्या फिर बीजेपी का दामन छोड़ महागठबंधन में लौटेंगे नीतीश… तेजस्वी को ऐतराज

0
480

दिल्ली विधानसभा चुनाव के समाप्त होने के साथ ही अब बिहार पर सभी राजनीतिक दलों की निगाहें टिक गई हैं जहां इस साल अक्टूबर नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं. बिहार में सत्ता पर विराजमान नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू एक बार फिर प्रमुख भूमिका में नजर आने वाले हैं. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पहले ही कह चुके हैं कि एनडीए नीतीश कुमार की अगुआई में ही बिहार में चुनाव लड़ेगी. उधर नीतीश कुमार भी बीजेपी के साथ से संभवत: संतुष्ठ हैं, इसलिए उन्होंने उन लोगों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया जो बीजेपी के खिलाफ आवाज उठा रहे थे.

हालांकि कई नेता इस बात का दावा कर रहे हैं कि विधानसभा चुनाव से पहले बिहार की राजनीति के समीकरण फिर से बदल सकते हैं. इनका मानना है कि नीतीश बीजेपी का दामन छोड़कर फिर से राजद के साथ गठबंधन कर सकते हैं. उधर खबर है कि अगर महागठबंधन में नीतीश की वापसी होती है तो इसका विरोध कांग्रेस नहीं करेगी.

तेजस्वी हैं नीतीश के खिलाफ

हालांकि एक सच्चाई ये भी है कि लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव नीतीश के गठबंधन में आने के खिलाफ हैं. ऐसी स्थिति में कई विपक्षी नेता मामले में लालू प्रसाद की दखल की उम्मीद कर रहे हैं. इस संदर्भ में यह चर्चा है कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से कुछ नेताओं ने रिम्स में इलाज करा रहे लालू प्रसाद से मुलाकात पर लगी पाबंदी में ढील देने की गुजारिश की है, ताकि इस विषय पर लालू से चर्चा की जा सके.

तेजस्वी यादव का नीतीश कुमार पर निशाना

उधर राजद नेता तेजस्वी यादव ने एक बार फिर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोला है. उन्होंने नीतीश कुमार पर RSS के सामने आत्मसमर्पण करने का आरोप लगाया है. साथ ही राजद नेता ने बिहार के मुख्यमंत्री को नीति, सिद्धांत विहीन बताया है. सोशल नेटवर्किग साइट फेसबुक पर राजद नेता ने लिखा है, “नीतीश कुमार जी ने पूरी तरह से आरएसएस-भाजपा के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है. उन्होंने तब CAA,NPR,NRC पर केंद्र को समर्थन देने के बावजूद बात भी नहीं की थी और अब आरक्षण नीति के ख़त्म करने पर भी घातक रूप से चुप है.”

तेजस्वी यादव ने लिखा है,”वे एकमात्र ऐसे नेता हैं जिनके पास कोई नीति, सिद्धांत और विचारधारा नहीं है लेकिन केवल एक ही उद्देश्य है. वो अब थक कर लक्ष्यहीन और अदूरदर्शी हो चुके है. 60 फ़ीसदी युवा आबादी वाले राज्य में विकास और नए विकसित बिहार का कोई लक्ष्य, सपना और रोडमैप नहीं है.