नई दिल्ली: तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने 2002 के सांप्रदायिक दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ बलात्कार और उनके बच्चे और परिवार के अन्य सदस्यों की हत्या में सजा काट रहे 11 दोषियों की रिहाई के गुजरात सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार समेत सभी पक्षों को नोटिस जारी किया है. इस मामले की आगे की सुनवाई तीन हफ्ते बाद की जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने रिहा किए गए दोषियों में से एक के वकील को भी नोटिस जारी किया है और निर्देश दिया है कि अगर उनको पेश होना है तो अन्य दोषियों से निर्देश प्राप्त करें.
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को मामले से जुड़े सभी दस्तावेज और बरी करने के आदेश को रिकॉर्ड में पेश करने का निर्देश दिया है. गौरतलब है कि इसी मुद्दे पर माकपा सांसद सुभाषिनी अली, प्रोफेसर रूपरेखा वर्मा और एक पत्रकार ने अगस्त माह में सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी. सुप्रीम कोर्ट ने 25 अगस्त को सभी पक्षों को नोटिस भेजकर जेल से रिहा हुए सभी 11 दोषियों को पक्षकार बनाने का आदेश दिया था.
जेल से रिहा हुए 11 दोषियों में से एक के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में एमपी मोइत्रा की याचिका का विरोध किया. वकील ने सुप्रीम कोर्ट में दलील देते हुए कहा कि आवेदन ऐसे लोगों द्वारा किए गए हैं जिनका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है. ये लोग हर मामले में ऐसे ही आवेदन करते हैं.
बिलकिस बानो मामले को गुजरात से महाराष्ट्र स्थानांतरित कर दिया गया था और बॉम्बे में एक विशेष सीबीआई अदालत ने 11 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. जिसे बॉम्बे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा था. जिसके बाद सभी 11 आरोपी जेल की सजा काट रहे थे. लेकिन कुछ दिन पहले ही गुजरात सरकार ने सभी आरोपियों को रिहा करने का फैसला किया था. इसलिए गुजरात सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई हैं.
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