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जन्मदिन विशेष: शेयर बाजार के पितामह धीरूभाई ने आर्थिक मोर्चे पर नये विकल्पों का सर्जन किया

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परिमल नथवाणी, अहमदाबाद: हाल ही में रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) की सफलता ने एक नया अध्याय लिखा है. भारतीय शेयर बाजार में कंपनी की बाजार पूंजी (मार्केट कैपिटलाइजेशन) 10 लाख करोड़ को पार कर दिया है, जो भारत के शेयर बाजार के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुआ है. इसलिए, आज उनके 87 वें जन्मदिन के मौके पर, मैं श्री धीरूभाई अंबानी की ‘भारतीय शेयर बाजार के भीष्म पितामह’ के तौर पर मध्यम वर्ग के निवेशकों के लिए संपत्ति का सर्जन वाले मेहनत की जुनून याद आती है. धीरूभाई अंबानी की दूरदर्शिता से आरआईएल निवेशकों को काफी फायदा हुआ उनके बाद अब उनके बेटे श्री मुकेश डी अंबानी ने इस विरासत को जारी रखा है.

रिलायंस का आई.पी.ओ. वर्ष 1977 में आया उस समय कंपनी का स्टॉक रु10,000 का निवेश करने वाले निवेशकों की पूंजी आज 2.1 करोड़ हो गई है, सी.एन.बी.सी. टी.वी ने 18 नवंबर 2019 के आखिरी सप्ताह में अपने एक रिपोर्ट में बताया कि निवेशकों का 2,09,900 प्रतिशत पैसे रिटर्न मिला.

धीरूभाई अंबानी दुनिया के श्रेष्ठतम और अग्रिम पंक्ति के व्यावसायिक लीडरों में स्थान प्राप्त किया था. उनकी अद्वितीय दूरदर्शिता, परिश्रम, समर्पण और नये प्रयोगों की वजह से आरआईएल फॉर्च्यून की सबसे बड़ी कंपनियों की वैश्विक सूची में शामिल होने वाली भारत की पहली निजी कंपनी बन गई. आज मुकेशभाई के नेतृत्व की वजह से रिलायंस IOC को पीछे छोड़कर फॉर्च्यून इंडिया की 500 सूची में सबसे बड़ी कंपनी बनने का सम्मान अर्जित किया है.

धीरूभाई को लोगों के लिए और अपने देश के लिए संपत्ति का सर्जन करना पसंद था. वह कहते थे, ‘भारत के लिए जो अच्छा है वह रिलायंस के लिए अच्छा है’ उन्होंने भारत में ‘इक्विटी कल्ट’ की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. 1960 और 1970 के दशक में भारतीय शेयर बाजार में धनी व्यापारियों और दलालों की सत्ता थी, लेकिन धीरुभाई ने इन अमिरों के किला में सेंध लगाकर लाखों मध्यम-वर्गीय भारतीयों को इस प्रक्रिया का हिस्सा बनाया और उनके लिए निवेश और आवक के नए रास्ते खोले.

बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने धीरूभाई को नई परियोजना के लिए पर्याप्त धन देने से आनाकानी किया, इसीलिए उन्होंने लोगों से सीधे धन प्राप्त करने का विकल्प चुना. और 1977 में रिलायंस का सार्वजनिक भुगतान (आईपीओ) सामने लाया, जिसकी सभी लोगों ने दिल खोलकर तारीफ की, देश भर के 58,000 से अधिक खुदरा निवेशकों ने धीरूभाई पर अपना भरोसा जताया जिसके बाद खुदरा निवेशकों ने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा और पर्याप्त रिटर्न प्राप्त किया.

जब अधिकांश उद्यमी सरकारी स्वामित्व वाले वित्तीय संस्थानों और बैंकों से मिलने वाले धन पर निर्भर थे, उस वक्त धीरूभाई ने समाज के पिरामिड के पाये में मौजूद संसाधनों का उपयोग करने के विचार को लागू किया. रिटेल निवेशकों का विश्वास जीतने के बाद बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) को भी काफी फायदा हुआ, रिलायंस से इस कदम ने शेयर बाजार में लाखों निवेशकों अपना पैसा निवेश करने का नया भरोसा दिया.

कई छोटे निवेशकों धीरूभाई को भगवान के रूप में पूजते थे. ऐसे सैकड़ों उदाहरण मिल जाएंगे जब रिलायंस के शेयर से मिलने वाले रिटर्न की वजह से आम आदमी अपने सामाजिक दायित्वों को पूरा करने में सक्षम हुआ है. धीरूभाई को मिलने वाली अद्वितीय सफलता को देखकर, भारत की अन्य कंपनियों ने लोगों से धन प्राप्त करने के विकल्प को प्राथमिकता देना शुरू किया और इस तरह धीरूभाई द्वारा शुरू की गई इक्विटी कल्ट का विस्तार होने लगा.

इसके बाद धीरूभाई ने अन्य नवीन वित्तपोषण विकल्पों को लागू किया, जिसे भारत में किसी ने नहीं अपनाया था. 1992 में, ग्लोबल डिपॉजिटरी के फंड हासिल कर भारतीय व्यापारियों को सस्ते ऋण प्राप्त करने का नया मौका दिया, इसके अलावा, 1977 में अमेरिका की ऋण बाजार में से 50 और 100 वर्ष बांड जारी कर रिलायंस पहली एशियाई कंपनी बन गई

42 साल पहले धीरूभाई ने इक्विटी कल्ट के साथ शुरुआत की वजह से ही आज बाजार पूंजीकरण भारतीय शेयर बाजार विश्व की शीर्ष 10 शेयर बाजारों में स्थान हासिल कर लिया है. इस उपलब्धि को हासिल करने में आरआईएल का योगदान भी काफी अहम रहा है.
(परिमल नथवाणी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के सिनियर ग्रूप प्रेसिडेंट और राज्यसभा के सांसद हैं)

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