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झारखंड में बीजेपी एड़ी-चोटी का जोर लगाने को तैयार, महाराष्ट्र खोने के बाद “मोदी-शाह” की बढ़ी मुश्किलें

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81 सदस्‍यीय झारखंड विधानसभा के चुनाव की घोषणा हो गई है. पांच चरणों में होने वाले ये चुनाव 30 नवंबर, 7, 12, 16 और 20 दिसंबर को होंगे.जबकि मतगणना 23 दिसंबर को होगी. पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली जीत के बाद मुख्‍यमंत्री पद की जिम्मेदारी रघुवर दास को मिली थी. ऐसे में महाराष्ट्र की सत्ता जाने के बाद अब बीजेपी के लिए झारखंड में करो या मरो की स्थिति बनती हुई नजर आ रही है. क्योंकि लोजपा ने पहले ही ऐलान कर दिया है भले ही हम केन्द्र में गठबंधन के साथ सरकार में हैं. लेकिन झारखंड में पार्टी अकेले अपने दम पर चुनावी मैदान में उतरेगी. ऐसा भी कहा जाता है कि महाराष्ट्र में बीजेपी इसलिए भी नहीं झुकने को तैयार थी क्योंकि अगर पार्टी महाराष्ट्र में शिवसेना की मांगों को मान लेती तो दूसरी सहयोगी पार्टियां भी दबाव डालती.

इतना ही नहीं बीजेपी के रणनीतिकारों का मानना है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ के बाद महाराष्ट्र के भी हाथ से निकल जाने के बाद झारखंड में कम से कम बहुमत वाली जीत जरूरी है, तभी पार्टी हाल के विधानसभा चुनावों से खराब प्रदर्शन से खोई हुई लय वापस पा सकती है.गौरतलब हो कि 2014 में होने वाला विधानसभा चुनाव भी पांच चरणों में हुए थे. फिलहाल झारखंड विधानसभा में भाजपा के 49 सदस्‍य, हेमंत सोरेन के नेतृत्‍व वाली झारखंड मुक्ति मोर्चा के 17 सदस्‍य और कांग्रेस के 5 सदस्‍य हैं. बाकी सीटें अन्‍य छोटे दलों और निर्दलीयों के पाले में हैं.

आगामी विधानसभा चुनाव में बढ़ सकती हैं चुनौतियां 

सूत्रों से मिलने वाली जानकारी के अनुसार हरियाणा में जिस तरह से सरकार बनी और बाद में बहुमत के अभाव में महाराष्ट्र में बनी सरकार गिर गई. अब अगर झारखंड में भी प्रदर्शन खराब हुआ, तो फिर 2020 में दिल्ली विधानसभा और फिर 2021 में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव पर बुरा असर पड़ सकता है. ऐसे में झारखंड में पार्टी का प्रदर्शन गिरने पर बीजेपी के कमजोर होने का संदेश जा सकता है. इसलिए पार्टी आने वाले झारखंड विधानसभा इलेक्शन में एड़ी-चोटी का जोर लगाने की तैयारी में है.

झारखंड इलेक्शन में छाया राम मंदिर-कश्मीर का मुद्दा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फिलहाल एक दर्जन रैलियां प्रस्तावित हैं. सूत्र बता रहे हैं कि हरियाणा की तरह झारखंड में भी वह कुछ अतिरिक्त रैलियां कर सकते हैं. प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की झारखंड में फिलहाल दो-दो रैलियां हो चुकी हैं.इन दोनों रैलियों में मोदी और शाह ने राम मंदिर और जम्मू-कश्मीर के मस्ला को लेकर जमकर कांग्रेस पर बरसे जहां शाह ने राम मंदिर को लेकर कांग्रेस पर बड़ा आरोप लगाया वहीं मोदी ने कश्मीर से धारा 370 को हटाने के फैसले को ऐतिहासिक बताया.

महाराष्ट्र के हालात को देखकर झारखंड में कड़ी मेहनत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां झारखंड के पलामू और गुमला में रैली की, वहीं अमित शाह बीते 21 नवंबर को मनिका और लोहरदगा में जनसभा कर चुके हैं. अमित शाह की आगे दो, पांच, नौ, 14 और 17 दिसंबर को रैलियां होनी हैं. अमित शाह भी अपनी रैलियों की संख्या बढ़ा सकते हैं. वहीं मोदी भी हरियाणा के तर्ज पर अपने चुनावी रैलियों की संख्या को बढ़ा सकते हैं. क्योंकि शाह और मोदी की इस जोड़ी को अच्छी तरीके से मालूम है कि खराब परिस्थितियों को कैसे मौके में बदला जा सकता है.

बीजेपी के 40 स्टार प्रचारक मैदान में

बीजेपी ने झारखंड के लिए 40 स्टार प्रचारकों को लगाया गया है. सूत्र बता रहे हैं कि इन स्टार प्रचारकों की रैलियों की संख्या भी बढ़ाई जा सकती हैं. हरियाणा, महाराष्ट्र के चुनाव नतीजों से परेशान बीजेपी झारखंड को लेकर किसी तरह का खतरा नहीं उठाना चाहती.

टिकट नहीं मिलने वाले असंतुष्ट नेताओं को मनाने की कोशिश

वैसे तो कहा जाता है कि बीजेपी शाह और मोदी जो फैसला कर लें वह आखरी होता है लेकिन अब हालात बदल रहे हैं ऐसे में कहा जा रहा है कि जिन दावेदारों को टिकट नहीं मिले हैं, उन्हें चुनाव बाद सरकार में समायोजित करने का आश्वासन दिया जा रहा है. हमारी कोशिश है कि पार्टी को किसी भी सीट पर भितरघात का सामना न करना पड़े. झारखंड में एक-एक सीट सरकार बनाने में कीमती है.