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#Column: भाजपा लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया को उखाड़ने की कोशिश कर रही

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शंकर सिंह वाघेला: सभी मीडिया हाउस या मीडियाकर्मी बिके या बिकाऊ नहीं है. मीडिया में रहने वाले कुछ लोगों की वजह से अन्य ईमानदारी से काम करने वाले मीडियाकर्मियों पर भी लांछन लगा है. गत छह वर्षों से देश और गुजरात में विशेष राजनीतिक दल या विचारधारा के प्रति कुछ मीडियाकर्मियों का झुकाव बढ़ गया है. मीडिया से केवल प्रशंसा प्राप्त करने की आदी बन चुकी भारतीय जनता पार्टी से यदि कोई सवाल पूछता है या फिर वास्तविकता दिखाता है तो उसे बिका हुआ या फिर बिकाऊ कह दिया जाता है.

मीडिया भाजपा की सही या गलत सराहना करती रहे तो वह सही है. मीडिया सच या आम लोगों की बात करे तो भाजपा मीडिया को बेकार करार देती है. यह परंपरा वर्षों से भाजपा में चली आ रही है. इस परंपरा के कारण भाजपा तल्ख-मिजाजी हो गई है. क्यों ना गलत लेकिन हमारे पक्ष में खबर चलाएं, बीजेपी इस अहंकार के साथ जी रही है. अगर मीडिया इस अहंकार को छेड़े तो को गलत तरीके से परेशान किया जाता है. कुछेक के खिलाफ तो राजद्रोह तक का केस लगाकर जेल में डाल दिया जाता है.

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भाजपा लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को उखाड़ने की कोशिश कर रही है. मीडिया की यह स्थिति के लिए कुछ मीडियाकर्मी ही जवाबदेह हैं. ये लोग स्थिर रहते, तो आज का मीडिया निष्पक्ष और स्थिर होता. कुछ लोगों के गलत नीति और नियति के कारण देश आज गलत सूचनाओं के साथ जी रहा है. आज की परिस्थिति में मीडिया धर्म, जाति, प्रदेश या भाषा सहित सभी पहलुओं को अलग रखकर संपूर्ण सत्य दिखाए ये जरूरी है.

देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति को देखकर ऐसा लगता है कि सरकार को अच्छा लगाने के लिए चापलूसी करने वाले मीडिया घरानों की हालत निकट भविष्य में और खराब हो जाएगी. कुछ लोगों ने सरकार की झूठी वाहवाही कर लोगों में झूठी खबर फैलाने का काम किया है. इन्हीं लोगों ने राजनीति करने वाले कुछ ‘जीरो’ को ‘हीरो’ बनाने का भी काम किया है. यह देखना बाकी है कि सरकार निकट भविष्य में इन लोगों को कैसे बचाएगी. इन्हीं में कुछ लोगों की वजह से पूरे मीडिया घराने पर ‘बिका’ या ‘बिकाऊ’ का ठप्पा लग गया है. इसलिए मीडिया को सभी लोगों की वकालत कर सरकार को उसकी गलतियों से अवगत कराना आवश्यक है.

(विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं. शंकरसिंह वाघेला “बापू” गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं और 50 साल से राजनीति में सक्रिय हैं.)

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