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दो हजार रुपया के लिए कहीं भी चले जाते हैं किसान नेता राकेश टिकैत: BJP विधायक

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मोदी सरकार द्वारा लागू तीनों कृषि कानून के खिलाफ जारी आंदोलन के दौरान बीते दिनों गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली में होने वाली हिंसा के बाद एक वक्त ऐसा भी आया था. BJP MLA disputed statement

जब लोग कहने लगे थे कि अब किसानों का आंदोलन जल्द ही खत्म हो जाएगा. लेकिन किसान नेता राकेश टिकैत के आंसू ने ऐसा कमाल किया कि आंदोलन एक बार फिर से जीवित हो गया.

उसके बाद से आंदोलन राकेश टिकैत के इर्द-गिर्द नजर आ रहा है. टिकैत किसानों को एकजुट करने के लिए महापंचायत में हिस्सा लेकर नई रणनीति बना रहे हैं.

BJP विधायक ने राकेश टिकैत पर बोला निजी हमला BJP MLA disputed statement

किसान आंदोलन को लेकर जहां एक तरफ भाजपा नेता पहले से ही हमलावर रह चुके हैं. वहीं अब भाजपा के कुछ नेता किसान नेता राकेश टिकैत पर हमला बोलना शुरू कर दिया है. BJP MLA disputed statement

इस बीच गाजियाबाद के लोनी विधानसभा से बीजेपी विधायक नंद किशोर गुर्जर का विवादित बयान सामने आया है. नंद किशोर ने राकेश टिकैत पर निजी हमला बोलते हुए बड़ा आरोप लगाया.

भाजपा विधायक ने कहा कि किसानों की अगुवाई करने वाले राकेश टिकैत सिर्फ 2 हजार रुपया के लिए किसी भी जगह चले जाते हैं.

किसान नहीं बल्कि राजनीतिक दल के लोग कर रहे हैं प्रदर्शन BJP MLA disputed statement

गाजियाबाद में पत्रकारों से बातचीत करते हुए बीजेपी विधायक नंद किशोर गुर्जर ने कहा कि टिकैत मुझसे बड़े किसान नहीं मेरे पास जितनी जमीन है उससे आधी भी जमीन टिकैत के पास नहीं.

इतना ही नहीं किशोर ने टिकैत पर हमला बोलते हुए कहा कि वह किसानों को बांटने की कोशिश कर रहे हैं. इतिहास इसे याद रखेगा. BJP MLA disputed statement

किसान आंदोलन पर जब उनसे सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि यह आंदोलन ना तो किसानों का है ना ही मजदूरों का बल्कि आप मौके पर जाएं तो दिखेगा कि राजनीतिक लोग डेरा जमा कर बैठे हैं.

गौरतलब है कि बीते दिनों किसान नेता राकेश टिकैत ने गाजियाबाद के लोनी विधानसभा से बीजेपी विधायक नंद किशोर गुर्जर और उनके समर्थकों पर आंदोलन कर रहे किसानों को धमकी देने और प्रदर्शन स्थल से जबरन हटाने का आरोप लगाया था. BJP MLA disputed statement

इतना ही नहीं भाजपा के कई नेता इससे पहले भी किसानों के आंदोलन को लेकर विवादित बयान दे चुके हैं. बावजूद इसके किसान तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर आज भी डटे हुए हैं.

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