भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद राकेश सिन्हा शुक्रवार को संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवाद’ शब्द को हटाने का प्रस्ताव पेश करेंगे. इस सिलसिले में उनके नोटिस को राज्यसभा चेयरमैन वैंकया नायडु ने स्वीकार कर लिया है. राकेश सिन्हा का कहना है कि आज के दौर में समाजवाद शब्द का कोई महत्व नहीं रह गया है. राकेश सिन्हा का प्रस्ताव है कि समाजवाद को प्रस्तावना से हटा कर बिना किसी खास़ विचारधारा के आर्थिक सोच को जगह दी जानी चाहिए.
संविधान की प्रस्तावना से धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद को हटाने के मसले पर पहले भी विवाद होता रहा है. 2014 में नरेंन्द्र मोदी सरकार के केन्द्र में आने के बाद 2015 में अखबारों में एक विज्ञापन में संविधान की प्रस्तावना छपी थी. यह विज्ञापन सरकार की तरफ से दिया गया था और इसमें धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद शब्द गायब थे.
संविधान की प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद शब्द 1976 में 42 संविधान संशोधन के ज़रिए जोड़े गए थे. बीजेपी के सांसद राकेश सिन्हा का कहना है कि आज के दौर में इस शब्द के कोई मायने नहीं हैं. मालूम हो कि राकेश सिन्हा को आरएसएस के विचारक के तौर पर जाना जाता है.
राकेश सिन्हा का प्रस्ताव राज्यसभा के चैयरमैन ऑफ़िस ने बुधवार को स्वीकार किया है. उन्हे शुक्रवार को प्राइवेट मेंबर बिल के लिए नियत समय में से इस प्रस्ताव को रखने का समय दिया गया है. अगर सदन में यह प्रस्ताव पास हो जाता है तो परंपरा के अनुसार प्रस्ताव को संबंधित मंत्रालय को भेज दिया जाएगा. इसके बाद मंत्रालय चाहे तो इस प्रस्ताव पर क़ानून ला सकता है.
https://archivehindi.gujaratexclsive.in/minister-of-state-for-health-ashwini-choubey-claims-every-type-of-infection-is-overcome-by-taking-sunlight/