गांधीनगर: गुजरात में पिछले डेढ़ साल से कोरोना महामारी का कहर बरपा रहा है. इस बीच कोरोना के बाद ब्लैक फंगस की वजह से हालत दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है. अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत और राजकोट में 24 घंटे में इस नई बीमारी के 100 से अधिक नए मामले सामने आए हैं. कोरोना की चपेट में आने वाले मधुमेह, कैंसर और किडनी ट्रांसप्लांट वाले मरीजों में इस संक्रमण की आशंका सबसे ज्यादा होती है. Black fungus havoc in Gujarat
वडोदरा में दो मरीजों की आंखें निकालनी पड़ी Black fungus havoc in Gujarat
कोरोना की चपेट में आए मरीजों को इलाज के लिए स्टेरॉयड दवा दी जाती है. इसके अलावा कुछ मरीजों को आईसीयू और ऑक्सीजन पर रखा जाता है. ऐसी परिस्थिति में ब्लैक फंगस के संक्रमण की आशंका रहती है. इस बीच जानकारी सामने आ रही है कि वडोदरा में इस बीमारी के शिकार में आए दो रोगियों को अपनी आखें खोना पड़ा. राज्य में 700 से अधिक रोगियों का म्यूकोमाइकोसिस का इलाज चल रहा है. कई अस्पतालों में म्यूकोमाइकोसिस का इंजेक्शन और दवा न मिलने की शिकायतें बढ़ गई हैं. अहमदाबाद सिविल अस्पताल में म्यूकोमाइकोसिस के चार वार्डों में 300 से अधिक रोगियों का इलाज चल रहा है.
राजकोट में भी म्यूकोमाइकोसिस के मामले बढ़ रहे हैं. राजकोट में एक ही दिन में म्यूकोमाइकोसिस के 45 नए मामले सामने आए है. वडोदरा में ब्लैक फंगस की चपेट में आने वाले दो मरीजों की सर्जरी के बाद आंखें निकालनी पड़ीं. सूरत में भी एक ही दिन में म्यूकोमाइकोसिस के 10 से ज्यादा नए मामले सामने आए हैं. Black fungus havoc in Gujarat
बीमारी कैसे फैलती है? Black fungus havoc in Gujarat
जानकारों की मान तो सबसे पहले साइनस में फंगल संक्रमण होता है और 2 से 4 दिनों में आंखों तक पहुंच जाता है. यह फंगल संक्रमण सबसे पहले कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों पर हमला करता है. उपचार के दौरान दिए गए दवा का शरीर पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है. यदि रोगी को मधुमेह है तो उसे यह नई बीमारी होने की सबसे अधिक संभावना है. सिर में असहनीय दर्द, आंखों की लाली, आंखों में पानी आना और आंखों की गति कम होने जैसे लक्षण दिखने पर फौरन डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए. Black fungus havoc in Gujarat
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