गुजरात में चलने वाली सिटी बस को किसी जामने में पब्लिक ट्रांसपोर्ट का बेहतर मिसाल माना जाता था लेकिन अब इन बसों को मौता की सवारी कहना गलत नहीं होगा. गुजरात के अहमदाबाद में जहां कल बीआरटीएस की चपेट में आने के बाद दो सगे भाईयों की मौके पर मौत हो गई वहीं आज सूरत के नानपुरा इलाके में बस टक्कर से एक महिला की मौके पर मौत हो गई है. सूरत में पिछले 3 दिनों में 5 लोगों की मौत से सिर्फ ओवर स्पीड की वजह से हुई है.
पिछले 3 दिनों में बस की टक्कर में 7 लोगों को अपने जान से हाथ गवाना पड़ा है. ऐसे में जहां इस मामले को लेकर आज कांग्रेस बीआरटीएस को बंद करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रही है वहीं सवाल ये उठ रहा कि क्या सिटी बस को चलाने वाले लोगों ड्राइवरों पर ट्राफिक कानून को पालन करने का नियम कानून लागू नहीं पड़ता या फिर ऐसे लोगों की इन ट्रांस्पोर्ट सर्विसिज में भर्ती किया जाता है उन्हे इस बात की आजादी दे दी जाती है कि शहर में लागू ट्राफिक कानून के नियमन का पालन नहीं किया जाएगा.
एक चौकाने वाली जानकारी ये भी सामने आ रही है कि 2014 से अहमदाबाद में बीआरटीएस कोरिडोर में 36 लोगों को अपने जान से हाथ गवाना पड़ा था वहीं सूरत में इससे भी खतरनाक आकड़े सामने आ रहे हैं. सूरत में 2014 से 54 लोगों के मौत होने की जानकारी प्राप्त हो रही है. इतना ही नहीं लोगों के सुविधा के लिए शुरु की गई इस सेवा की वजह से लोगों को जितना फायदा नहीं हो रहा उससे कहीं ज्यादा लोगों के घरों में ये सेवा मातम फैलाने का काम कर रही है. हर साल एक अंदाज के मुताबिक बीआरटीएस कोरिडोर में 250 लोगों के साथ हादसा पेश आता है.