कोरोना वायरस से मची त्रासदी से बचाव के लिए लागू लॉकडाउन के बीच मजदूरों की आवाजाही के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई है. एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को मामले की जांच करने और दो राज्यों के बीच मजदूरों की आवाजाही पर कड़ी कार्रवाई करने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पूछा कि प्रवासी मजदूरों की आवाजाही नहीं बंद हुई है, इस बात को कैसे सत्यापित किया जाएगा. याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि कुछ राज्य सरकारों का कहना है कि वे लोगों को उनके मूल गांवों में वापस भेज देंगे, लेकिन गृह मंत्रालय ने अभी किसी तरह की आवाजाही की अनुमति नहीं दी है.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में सरकार का पक्ष रखते हुए कहा, गृह मंत्रालय ने मजदूरों को लेकर दिशानिर्देश जारी किए हैं. बीते दिनों गृह मंत्रालय ने स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग सिस्टम जारी करते हुए कहा था कि मजदूरों को किसी भी प्रकार के अंतर-राज्य आवाजाही की अनुमति नहीं होगी. यह निर्देश जारी करते हुए गृह सचिव अजय भल्ला ने कहा था कि लॉकडाउन के कारण देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे हुए मजदूरों को कुछ शर्तों के साथ राज्य के भीतर उनके वर्कप्लेस पर जाने की अनुमति होगी, जबकि तीन मई तक बढ़ाए गए लॉकडाउन के दौरान मजदूरों को किसी भी प्रकार के अंतर-राज्य आवाजाही की अनुमति नहीं होगी.
इससे पहले पीएम नरेंद्र मोदी की मुख्यमंत्रियों के साथ मीटिंग से पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर स्टेटस रिपोर्ट में बताया है कि लॉकडाउन के बीच प्रवासी मजदूरों को उनके पैतृक स्थान भेजने की ज़रूरत नहीं है. सरकार का कहना है कि इस तरह का पलायन ग्रामीण इलाकों में भी संक्रमण फैलाने में मदद करेगा, जहां अभी तक संक्रमण नहीं है.
स्टेटस रिपोर्ट में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि केंद्र और राज्य सरकार, NGO के साथ मिलकर प्रवासी मजदूरों की दैनिक ज़रूरतों और गांवों में उनके घरवालों की सुविधा के लिए इंतज़ाम कर रही हैं.
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