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केंद्र सरकार ने नागालैंड-असम और मणिपुर से AFSPA के तहत आने वाले इलाकों को किया कम

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नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार ने असम और मेघालय के बीच जारी सीमा विवाद को सुलझाने के बाद अब असम, मणिपुर और नागालैंड में सैन्य कानून AFSPA के तहत आने वाले इलाकों को कम करने का बड़ा फैसला लिया है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर बताया कि भारत सरकार ने दशकों बाद नागालैंड, असम और मणिपुर राज्यों में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) के तहत अशांत क्षेत्रों को कम करने का फैसला किया है.

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने केंद्र के फैसले को लेकर कहा कि 1990 में असम को अशांत क्षेत्र घोषित किया गया था. तब से AFSPA लगातार लागू था. 1990 से अब तक असम की सरकार 62 बार AFSPA बढ़ा चुकी है. आज PM मोदी ने AFSPA को उस क्षेत्र से वापस लेने का साहसिक निर्णय लिया है जहां इसकी आवश्यकता नहीं है. AFSPA असम के पहाड़ी क्षेत्रों में मौजूद रहेगा जहां स्थिति में सुधार होने बाकी हैं. असम का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 78,438 वर्ग किमी है, यह पूरा क्षेत्र अशांत क्षेत्र था और अब यह क्षेत्र केवल 31,724.94 वर्ग किमी तक ही सीमित है.

केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने केंद्र के फैसले को लेकर कहा कि नॉर्थ ईस्ट के लिए एक बहुत बड़ा निर्णय लिया गया है. नॉर्थ ईस्ट के तीनों प्रदेश असम, मणिपुर और नागालैंड में बसे हुए AFSPA का दायरा घटाया गया है ये एक ऐतिहासिक दिन है इस निर्णय से पता चलता है कि यहां पर शांति वापस से बहाल हुई है.

सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम के तहत आने वाले क्षेत्रों को कम करने के फैसले को लेकर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि AFSPA(सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम) होने से अशांत माहौल में लोगों को भय रहता है कि सुरक्षा बल आ रहे हैं. अगर ग़लत गतिविधियां होती हैं तो सुरक्षा बल आते हैं. AFSPA कम होने का मतलब है कि शांति बहाल हो गई है और नॉर्थ ईस्ट विकास के पथ पर चल चुका है.

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