कोरोना वायरस को लेकर चीन और अमेरिका आमने-सामने आ गए हैं. अमेरिका का मानना है की चीन की गलत नीतियों की वजह से आज कोरोना ने पूरे विश्व को अपने चंगुल में फंसा लिया है. इस आरोप के बाद चीन और अमेरिका के बीच के रिश्तों में तल्खियां आ चुकी है. लेकिन अब चीन की तानाशाही और पड़ोसी मुल्कों के साथ सीमा विवाद को लेकर सबक सिखाने के लिए अमेरिका ने अपनी सैना को ऐशियाई मैदान में उतारने का फैसला किया है.
चीन पिछले कुछ दिनों से लगातार अपने पड़ोसी देशों के साथ सीमा विवाद कर रहा है. पिछले दिनों लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के हिंसक हलमे में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे. इस बीच अमेरिका ने चीन की तानाशाही पर रोक लगाने की तैयारी कर ली है. अमेरिका यूरोप से अपनी सेना हटाना शुरू कर दिया है. जिसे एशिया में तैनात किया जाएगा.
इस सिलसिले में जानकारी देते हुए अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा, “मैंने इस महीने यूरोपीय संघ के विदेश मंत्रियों के साथ बातचीत की, चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी शांतिपूर्ण पड़ोसियों को लगातार धमका रही है, वहीं भारत के साथ यह टकराव की स्थिति में है. ऐसे में इसके उत्तेजक सैन्य कार्रवाइयों की लंबी चैन को देखते हुए चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को लेकर मुझे लगातार लोगों से प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं.”
इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि चीन जिस तरीके से पड़ोसी देश के साथ आक्रामक रवैया अख्तियार कर रहा है उसको लेकर हम अपनी सेना को भारत, वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया, दक्षिण चीन सागर के उन जगहों पर तैनात करने जा रहे हैं, जहां चीन की सेना से सबसे ज्यादा खतरा है. हम यह तय करेंगे कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का मुकाबला करने के लिए और आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए हमारी सेना पूरी तरह से तैयार है.
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