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सीमा विवाद के बीच चीनी कंपनी को भारत में मिला रैपिड रेल प्रोजेक्ट का ठेका

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वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन के बीच चल रहे विवाद के बीच चीनी कंपनी (Chinese Company) को भारत में रैपिड रेल प्रोजेक्ट का ठेका मिला है. खबरों के मुताबिक, एक चीनी कंपनी (Chinese Company) को दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल परियोजना के कुछ हिस्सों के काम के लिए ठेका दिया गया है.

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, एक चीनी कंपनी (Chinese Company) को दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल परियोजना के कुछ हिस्सों के काम के लिए ठेका मिला है. नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (NCRTC) ने दिल्ली-मेरठ RRTS परियोजना के न्यू अशोक नगर से साहिबाबाद तक के 5.6 किलोमीटर के भूमिगत स्ट्रेच के निर्माण के लिए एक चीनी कंपनी (Chinese Company), शंघाई टनल इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड को ठेका दिया है.

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सीमा पर तनाव के कारण लगी थी रोक

मालूम हो कि पिछले साल लद्दाख में एलएसी पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनाव के बाद इस कंपनी (Chinese Company) के ठेके पर रोक लगा दी गई थी. जून, 2020 में इस कॉन्ट्रैक्ट को दिए जाने के बाद भारी विवाद हुआ था. तब देश में चीन विरोध की बयार चल रही थी. तब सबसे कम बोली लगाने वाली चीनी कंपनी (Chinese Company) शांधाई टनल इंजीनियरिंग का ठेका सीमा पर तनाव के चलते रोक दिया गया था. फिलहाल इस कंपनी को फिर से भारत में काम करने की इजाजत मिल गई है.

दिशानिर्देशों के बाद मिला ठेका

देश के पहले क्षेत्रीय रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) को देख-भाल करने वाली एनसीआरटीसी ने कहा कि निर्धारित प्रक्रिया और दिशानिर्देशों के बाद ही ठेका दिया गया है. कंपनी ने कहा, “कई एजेंसियों द्वारा इसके लिए बोली लगाई गई थी. इसके लिए विभिन्न स्तरों पर स्वीकृति लेनी होती है. इस बोली को निर्धारित प्रक्रिया और दिशानिर्देशों के बाद ही इजाजत दी गई थी.”

एनसीआरटीसी के एक प्रवक्ता ने कहा, “अब 82 किलोमीटर लंबे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर के सभी सिविल वर्क टेंडर को जारी किया जा चुका है. इस परियोजना को समय पर पूरा करने के लिए निर्माण कार्य जारी है.”

एडीबी की मदद से होगा तैयार

मालूम हो कि 82-किलोमीटर लंबे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर को एशियाई विकास बैंक (एडीबी) की आर्थिक मदद से तैयार किया जा रहा है. एडीबी के दिशानिर्देशों के अनुसार, बैंक के सभी सदस्य देशों को बिना किसी भेदभाव के बोली प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति देनी है. एनसीआरटीसी ने इस प्रोजेक्ट के लिए नवंबर 2019 में बोलिया मंगवाई थीं.

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