नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा में पास हो चुका है और उम्मीद जताई जा रही है कि बुधवार को मोदी सरकार इसे राज्यसभा में पेश कर सकती है. लेकिन लोकसभा में जितनी आसानी से ये बिल पास हो गया था. उतना आसान राज्यसभा में नहीं होगी क्योंकि राज्यसभा में बिल पेश करने से पहले लोकसभा में समर्थन देने वाली पार्टियों ने बीजेपी के सामने शर्त रखकर बीजेपी की मुसीबतों को बढ़ा दिया है.
नागरिकता संशोधन विधेयक के पक्ष में जेडीयू, शिवसेना, बीजेडी और पूर्वोत्तर के कुछ दलों के साथ आने की वजह से लोकसभा में तो सरकार को इस बिल को पास कराने में कोई दिक्कत नहीं हुई. लेकिन शिवसेना प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्यसभा में समर्थन देने के लिए शर्त रख दिया है. उद्धव ठाकरे ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक का जो भी विरोध कर रहे हैं, उन सभी को देशद्रोही मानना भ्रम है. केवल बीजेपी ही देश का ध्यान रख सकती है ये भी भ्रम है. शरणार्थी कहां और किस प्रदेश में रखे जाएंगे. ये सारी बातें स्पष्ट होनी चाहिए. साथ ही शिवसेना ने कहा था कि शरणार्थियों को 25 साल तक वोट करने का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए.
Maharashtra Chief Minister Uddhav Thackeray: If any citizen is afraid of this Bill than one must clear their doubts. They are our citizens so one must answer their questions too. https://t.co/aB8LQSrmxE
— ANI (@ANI) December 10, 2019
लोकसभा में शिवसेना के साथ आने के बाद लग रहा था कि राज्यसभा में सरकार को इस विधेयक को पास करने में कोई खास दिक्कत नहीं आएगी. ऐसे में अब शिवसेना प्रमुख ने जिस तरह से शर्तें रखी हैं, उसके बाद राज्यसभा में समीकरण को नए तरीके से बैठाना होगा. शिवेसना के पास भले ही 3 राज्यसभा सदस्य हैं, लेकिन उद्धव ठाकरे की शर्त ऐसी है, जिसके आधार पर कई और भी दल शिवसेना के सुर में सुर मिला सकते हैं. ऐसे होता है तो मोदी सरकार के लिए राज्यसभा में पास कराने की बड़ी चुनौती होगी.
राज्यसभा में कुल सदस्य 245 हैं, लेकिन पांच सीटें रिक्त हैं, जिसके चलते फिलहाल कुल सदस्यों की संख्या 240 है. मतलब ये कि अगर सदन के सभी सदस्य मतदान करें तो बहुमत के लिए 121 वोट की जरूरत पड़ेगी. लेकिन मोदी सरकार का राज्यसभा में संख्या 119 है.