देश में प्राइवेट ट्रेन की यात्रा महंगी हो सकती है क्योंकि निजी कंपनियां ट्रेन का किराया तय करेंगी. यह किराया आने वाले समय में हवाई सेवाओं के लिए वसूले जाने वाले किराए की तर्ज पर निर्धारित किया जा सकता है.
इसके पीछे वजह यह है कि निजी कंपनियां चुनिंदा रूट पर ट्रेन का संचालन करेंगी.
इसके लिए उन्हें अनुमित मिल गई है.
ऐसे में किराए से लेकर तमाम सुविधाओं तक के प्रबंधन की जिम्मेदारी इन्हीं निजी कंपनियों पर होगी.
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यहां तक कि किराया तय करने के लिए भी उन्हें किसी नियामक या बोर्ड से अनुमति नहीं लेनी होगी.
109 रूट पर 151 ट्रेन
2023 में प्राइवेट ट्रेनों का पहला सेट आएगा .सरकार कुल 109 रूट पर 151 ट्रेन प्राइवेट कंपनियों को 35 साल के लिए देगी.
इसमें 12 ट्रेनें होंगी. रेलवे के मुताबिक, सभी 151 ट्रेनों को 2027 तक पेश कर दिया जाएगा.
30,000 करोड़ के निवेश का अनुमान
इस परियोजना में निजी क्षेत्र से करीब 30,000 करोड़ रुपए का निवेश अनुमान है.
रेलवे ने कहा है कि 70 फीसदी प्राइवेट ट्रेनें भारत में तैयार की जाएंगी. इन ट्रेनों को 160 किलोमीटर प्रति घंटे की मैक्सिमम स्पीड के हिसाब से बनाया जाएगा.
130 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से यात्रा में 10% से 15% कम समय लगेगा.
जबकि 160 किलोमीटर की स्पीड से 30% समय बचेगा.
इनकी स्पीड मौजूदा समय में रेलवे की ओर से चलाई जा रहीं सबसे तेज ट्रेनों से भी ज्यादा होगी.
हर ट्रेन में 16 कोच होंगे. रेलवे ने इस मामले में हाल में उठाए गए सवालों के जवाब में कहा कि प्राइवेट ट्रेन के किराए वही कंपनियां तय करेंगी, जो इसे चलाएंगी.
यह किराया बाजार के मुताबिक होगा.
मौजूदा ट्रेनों से काफी ज्यादा होगा किराया
अधिकारियों के मुताबिक, आनेवाली प्राइवेट ट्रेनों की किराया वर्तमान ट्रेनों के किराये से काफी ज्यादा होगा.
ऐसा इसलिए क्योंकि इन ट्रेनों में किराया फिक्स करने का नियम नहीं है.
वैसे अभी भी अहमदाबाद से मुंबई तक चलनेवाली शताब्दी एक्सप्रेस का किराया वर्तमान ट्रेनों के किराए से काफी महंगा है.